अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने राजद्रोह के आरोप में पिछले 8 महीनों से ज्यादा समय से जेल में बंद पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
न्यायाधीश ए जे देसाई ने सोमवार को राज्य सरकार व हार्दिक की ओर से दलीलों सुनीं। राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई कि यदि हार्दिक को जमानत दी गई तो राज्य में शांति की स्थिति नहीं रहेगी।
गत 26 अगस्त को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान पाटीदार समेलन के दौरान कलक्टर खुद ज्ञापन स्वीकारने के लिए वहां पहुंचे थे लेकिन हार्दिक ने वहां ज्ञापन देने से इन्कार किया जिससे उसका इरादा सही नहीं लग रहा था।
हिंसा के मैसेज व्हाट्स एप ग्रुप पर वाइरल हो रहे थे जिसमें हार्दिक भी सदस्य था लेकिन उसने हिंसा रोकने को कोई प्रयास नहीं किया, हार्दिक जानबूझकर हिंसा करने का आदेश दे रहा था।
राज्य सरकार के मुताबिक राजकोट में गत वर्ष अक्टूबर महीने में अंतरराष्ट्रीय वनडे क्रिकेट मैच से पहले हार्दिक ने हाईवे चक्काजाम करने का मोबाइल पर निर्देश दिया था। इसके रिकॉर्डेड अंश पेश किए गए। इसके अलावा हार्दिक व अल्पेश कथीरिया के साथ बातचीत के अंश भी पेश किए गए।
राज्य सरकार ने दलील दी कि वर्ष 1952 में केदारनाथ मामले में राजद्रोह को समाज के खिलाफ अपराध बताया गया है और इस मामले में आरोपी को सजा दी गई थी।
यह भी कहा गया कि पाटीदार आंदोलन में हार्दिक खुद लीडर की भूमिका में है और लाखों पाटीदार उसका अनुसरण करते हैं। राज्य में जब पाटीदार दंगे व हिंसा कर रहे थे तब एक लीडर के रूप में उसे इन पाटीदारों से शांति बनाए रखने की अपील करनी चाहिए थी लेकिन हार्दिक ने ऐसी कोई अपील नहीं की। इससे यह प्रतीत होता है कि हार्दिक ने उसे मिली स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया व राज्य में ङ्क्षहसा को फैलने दिया।
हार्दिक गुजरात छोडऩे को तैयार उधर हार्दिक के वकील की ओर से यह मौखिक आश्वासन दिया गया कि यदि हार्दिक को जमानत मिलती है तो वह छह महीना राज्य के बाहर रहने को तैयार है।
इससे पहले गत महीने हार्दिक की जमानत याचिका पर सुनवाई की गई थी। राज्य सरकार ने हार्दिक की ओर से दिए लिखित आश्वासन को खारिज करते हुए जमानत का विरोध किया।
हार्दिक ने कहा था कि आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन जारी रखा जाएगा लेकिन सरकार ने कहा था कि आंदोलन व शांति एक साथ संभव नहीं है। इसलिए हार्दिक का लिखित आश्वासन स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हार्दिक के खिलाफ सूरत व अहमदाबाद के मामले को लेकर राजद्रोह के तहत शिकायत दर्ज की गई है, इस मामले में जमानत की गुहार लगाई है।
गौरतलब है कि वर्ष 25 अगस्त को अहमदाबाद में आयोजित पाटीदार रैली में हार्दिक पटेल को हिरासत में लिए जाने के बाद राज्य भर में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस मामले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।
उधर, सूरत पुलिस ने गत वर्ष अक्टूबर महीने में पाटीदार युवक विपुल देसाई को आत्महत्या की बजाय पुलिसकर्मियों को मारने के बयान को लेकर हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह की शिकायत दर्ज की थी।