शिमला। प्रदेश में अब लोग अपने पालतु पशुओं को आवारा नहीं छोड़ पायेंगे। सरकार ने ऐसा करने पर जुर्माना लगाने का फैसला किया है। अब ऐसे पशुओं के मालिकों पर 300 से 500 रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा।
पंचायती राज विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इसके लिए ग्राम पंचायतों को पशुओं के अनिवार्य पंजीकरण करवाने तथा आवारा पाए जाने पर उनके स्वामियों पर जुर्माना लगाने के निर्देश जारी किये गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह निर्देश हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 11 (क) के प्रावधान के अनुरूप किये हैं तथा इनका सख्ती से पालन करने को भी कहा गया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस संबंध दायर एक मामले में निर्देश दिए थे, जिसकी पालना में यह कदम उठाते हुए न्यायालयके आदेशों इस नियम की सख्ती से पालना के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि इस धारा के प्रावधानानुसार हर परिवार के मुखिया का यह कर्तव्य है कि किसी भी कारण से उसके स्वामित्व में पशुओं की संख्या में कोई परिवर्तन होने पर वह लिखित या मौखिक रूप से इसकी जानकारी सम्बन्धित पंचायत प्रधान या सचिव को देगा। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत पशुओं के ब्योरा रखने के लिए ऐसे पशुओं का पंजीकरण करेगी।
यह ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी होगी कि प्रत्येक पशु पर पशुपालन विभाग के कर्मचारियों की सहायता से समुचित पहचान चिन्ह लगवाए और उसका अभिलेख भी रखे। इसके अलावा हर ग्राम पंचायत अपने अधिकार क्षेत्र में आवारा पशुओं की पहचान करवाने में पशुपालन विभाग के कर्मचारियों की सहायता सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि यदि पहचान चिन्ह वाला पशु आवारा पाया जाता है, तो पशु के स्वामी की पहचान करके उस पर प्रथम अपराध के लिए 300 रुपये और दोबारा ऐसा करने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।