नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति मामले में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हुए।
ईडी के प्रवक्ता अनिल रावल ने बताया कि सिंह गुरुवार दोपहर को नई दिल्ली में ईडी के मुख्यालय में जांच अधिकारी के समक्ष पेश हुए।
ईडी ने सिंह को धन शोधन के एक मामले में 18 अप्रेल को सम्मन जारी करते हुए 20 अप्रेल को एजेंसी के सामने पेश होने का आदेश दिया था।
इससे पहले ईडी ने उन्हें 13 अप्रेल को पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह एजेंसी के समक्ष हाजिर नहीं हुए थे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कथित तौर पर धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज कराने से बचने के लिए एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए।
उन्होंने आधिकारिक व्यस्तताओं का हवाला देते हुए निदेशालय के समक्ष हाजिर होने में असमर्थता जताई थी।
ईडी ने अप्रैल के पहले सप्ताह में वीरभद्र सिंह का दिल्ली स्थित फार्महाउस कुर्क कर लिया था, जिसकी कीमत 27.29 करोड़ रुपए है।
जांच एजेंसी का यह कदम केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा वीरभद्र और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर 6.03 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में मार्च में आरोपपत्र दाखिल करने के बाद आया है।
ईडी ने 23 सितंबर, 2015 को सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा, जीवन बीमा निगम एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल और अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया था।
एक प्राथमिक जांच में यह पाए जाने के बाद मामला दर्ज किया गया था कि सिंह ने 2009-2012 के बीच केंद्रीय मंत्री रहते हुए 6.03 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति अर्जित की थी, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी।
दिल्ली का फार्महाउस जब्त किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने केंद्र पर उन्हें परेशान करने और उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है।