हे गरीबों के हमदर्द तू ही बता, तेरे दर को छोड़कर हम कहा जाएंगे। दिखता नहीं है अब दूसरा रास्ता, तेरे दर को छोड़कर हम मर जाएंगे।
हे नाथ ये जमाना खुदगर्ज है वो हमारे कन्धों का सहारा लेकर नहीं हमारे कन्धो को तोडकर ऊपर चढकर, हमें ही छोटा ओर गंवार समझ कर, हमारे सामने थोड़ा चारा परोस कर अपनी ऊंची संस्कृति के गुणगान कर बेरहम होता जा रहा है।
नाथ तू ही बता, समस्त सृष्टि को बडे संतुलित ढंग से आपने ही बनाया लेकिन मानव ने ही अपने बलबूते से इसे ऐसा असंतुलित कर दिया कि यहा मानव परमात्मा से उपर निकलने की कोशिश कर रहा है।
ब्रह्मा जी के मानस पुत्र दक्ष ने एक यज्ञ करवाया। इसमे सभी देवी-देवता, ब्रह्मा, विष्णु एवं समस्त ऋषिगण को भी बुलाया गया लेकिन शंकर जी को नही बुलाया गया।
यज्ञ में उपस्थित सभी ऋषियों में से ऋषि दधीचि ने राजा दक्ष को कहा भगवान् शंकर के बिना यह यज्ञ सफल नहीं हो पाएगा उन्हें भी बुलाया जाए लेकिन जब दक्ष ने शंकर जी के बारे में अपमानित बात कही तो ऋषि दधीचि को गुस्सा आया और वे यज्ञ छोड़कर वो चले गए।
शंकर भगवान् की पत्नी सती से अपने पति का अपमान सहन ना हो सकी ओर दक्ष के यज्ञ के अग्निकुण्ड में कूद कर जल गई। शंकर भगवान् ने अतिक्रोधित होकर दक्ष के यज्ञ को भंग कर दिया ओर दक्ष की गर्दन काट दी।
हे नाथ जब आपके सामने भी इतना कुछ हो गया तो आप मेरी प्रार्थना को समझ गए होंगे कि आप मेरे विश्वास में है सामने नहीं, नाथ आप तो दीनानाथ हो मै आपकी शरण में हु अब तो बरसों बीत गए है अपनी पलके खोलो प्रभु। महाशिवरात्रि है भोले।
महाशिवरात्रि की महिमा धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है। एक श्मशान में एक चांडालिनी रहती थी ।वह मास मदिरा सभी का सेवन करती थी और हर गलत कार्यो मे लगी रहती थी। वृद्धावस्था में उसके शरीर से कोढ निकलने लगा। कोई उसे रोटी भी न देता था।
वह जीवन की आखिरी सांसे ले रही तब एक पंडित वहा से निकला। उसे देखकर रूक गया। इतने मे उसके प्राण निकल गए।उस समय एक स्वर्ग का विमान ओर दो शिवशंकर के गण वहा आए ओर उस बुढिया की सुक्ष्म आत्मा को शरीर से बाहर कर विमान मे बैठा कर ले जाने लगे।
यह नजारा देख पंडित ने कहा मैं पहचान गया कि आप दोनों शिव गण हो ओर शिवलोक इसे ले जा रहे हो। लेकिन मुझे ऐतराज है कि इसने जीवन मे कभी शुभ कर्म नहीं किए फिर भी शिवलोक ले जा रहे हो।
शिव गण बोले कल शिवरात्रि थी। दुखी होने के बाद भी इसने भूखे प्यासे रह शिव लिंग पर जल व बिल्व पत्र चढाए, शिवरात्रि के प्रभाव से इसके पापकरम मिट गए ओर इसकी मुक्ति हो गई।
पंडित को आश्चर्य हुआ कि भोले शंकर इतनी सी पूजा से ही प्रसन्न हो गए। वास्तव में यह सरल देव है सरल पूजा है और सरलता से ही मुक्ति दे देता है।