जयपुर। गुलाबी नगर जयपुर में दो परिवारों के मुखियाओं ने धर्म की सारी सीमाएं तोड़ते हुए दो महिलाओं की जिंदगी को इस कदर संवारा की एक परिवार मंगलवार को हर्षोल्लास से ईद मना सकेगा तो दूसरा आने वाली दीपावली की खुशियां।
शहर की एक विवाहिता अनिता गत दो वर्षों से ग्लोमेरूलर नामक एक रोग से पीडि़त थी और इसके चलते उनकी किडनी फेल हो गई थी। वह बेहद खराब स्वास्थ्य से जूझ रही थी। कुछ दिनों पहले जब पत्नी को लेकर पति विनोद मेहरा एक निजी अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया।
विनोद खुद किडनी देना चाहते थे लेकिन पत्नी का ब्लड ग्रुप बी प्लस था जबकि विनोद का ब्लड ग्रुप ए प्लस। ऐसे में वह किडनी दान नहीं कर सकते थे। उधर, उसी अस्पताल में अनवर अहमद भी अपनी पत्नी तस्लीम जहां को लेकर अस्पताल आए तो चिकित्सकों ने जांच कर बताया कि बहुत ज्यादा पेन किलर लेने के कारण उनकी किडनी फेलियर है और ट्रांसप्लांट ही एक मात्र उपाय है।
अहमद ने अपनी पत्नी को किडनी देने का मन बनाया लेकिन वह चाहते हुए भी कि किडनी दान से नहीं कर सकता था क्योंकि अहमद का ब्लड ग्रुप बी प्लस था जबकि पत्नी तस्लीम का ब्लड ग्रुप ए प्लस था।
जब अहमद और विनोद को इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने राय-मशविरा कर एक दूसरे की पत्नी को किडनी ट्रांसप्लांट का फैसला किया। चिकित्सकों ने गत 2 सितंबर को दोनों किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन किए जो कामयाब रहे। विनोद व अहमद को अस्पताल से पहले ही छुट्टी मिल चुकी है जबकि सोमवार को दोनों की पत्नियों को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
तस्लीम अब मंगलवार को ईद अपने परिवार के साथ मनाएंगी। दोनों ही परिवारों के लोग इस बात को लेकर खुश हैं विनोद व अहमद ने धर्म की सारी सीमाएं तोड़ते हुए जिस तरीके से दोनों परिवारों में खुशियां बांटी वह एक मिसाल बन गई है।
खास बात यह है कि विनोद पिछले करीब 2 वर्षों से अपनी पत्नी का इलाज करवा रहा था और उसे हर महीने सात से आठ बार सात से आठ बार पत्नी का डायलिसिस करवाना पड़ता था और उसके खर्चा भी प्रति डायलिसिस करीब 1000 रूपए बैठता था जो विनोद जैसे सामान्य नौकरी करने वाले शख्स के लिए काफी बड़ी राशि थी।
उधर जिस अस्पताल में दोनों विवाहिताओं का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया वहां के चिकित्सकों का कहना था कि अमूमन तो परिवार के लोग ही किडनी दान करने सामने आते हैं और हम भी परिवारिक रिश्ते को ही प्राथमिकता देते हैं लेकिन अस्पताल में यह पहला मामला था जहां परिवार से अलग लोगों ने किडनी दान का निर्णय किया। एक खास बात यह भी थी कि 90 फीसदी मामलों में महिलाएं ही किडनी दान करती हैं लेकिन दो पुरूषों का किडनी दान का भी यह अनोखा मामला रहा।