सबगुरु न्यूज। आत्मा अजर अमर अविनाशी है जो शरीर को धारण कर शरीर के रिश्ते लोकाचार में बनवाती है। शरीर चाहे पुरूष का हो या स्त्री का या फिर किसी भी जीव का, इन सब में आत्मा ही होती है। आत्मा की अपनी इतनी बड़ी हैसीयत होने के बावजूद भी इस दुनिया मे केवल ओर केवल मात्र शरीर का महत्व ही होता है जिसे नाम दिया जाता हैं। शरीर के ही रिश्ते समाज को जन्म देते हैं और उन रिश्तों की भूमिका शरीर अदा करता है।
आत्मा अजर अमर अविनाशी है इसलिए इस दुनिया में सभी अमर हैं और परमात्मा ने इस आत्मा को अमर चूंडला पहना रखा है।
शरीरधारी को चाहे अमृत पान भी करा दें तो भी एक समय बाद उसका नाश होगा, फिर भी हम सब के शरीर की आयु लम्बी हो इस हेतु मानव धर्म और कर्म, संस्कृति व विज्ञान के साथ तालमेल कर प्रयास करता रहता है।
स्त्री व पुरुष पति पत्नी के रूप मे मिलकर पहली बार रिश्तों की शुरुआत कर परिवार व समाज का निर्माण करते हैं। उनका परिवार सुखी और समृद्ध बना रहे इसके लिए पति व पत्नी आपस में सदा प्रेम व अच्छा स्वास्थ व अपनी ओर अपनें परिवार की उम्र लम्बी व सुरक्षित जीवन के लिए सदा प्रयास करते हैं।
परिवार में पति-पत्नी के मधुर सम्बन्ध बने रहे इसके लिए हमारी धार्मिक आस्था व उपासना मार्ग दर्शन करती है और करवा चौथ का व्रत भी उनमें से एक है। इसके अतिरिक्त भी कई धार्मिक व्रत संस्कार किए जाते हैं।
संत जन कहते है कि हे मानव धर्म और कर्म, पूजा उपासना व विज्ञान तो एक सहायक के रूप में होते हैं। हर रिश्ते निभाने के लिए धैर्य व त्याग करना सीख और मानव को मानव समझ।आज तथा कल की तरह रिश्तों को बदल मत। सदा समान रूप से मन से व्यवहार कर ओर अपने परिवार व समाज को प्रगति के पथ पर बढा।
करवा चौथ व अन्य कोई भी व्रत उपासना की अनिवार्य शर्त यह है कि रिश्ते, विशेष कर पति पत्नी के रूप में सदा मन व दिल से बनाए रख तभी इन व्रत व उपासना की सार्थकता होगी वरना बच्चे के जन्म दिन की तरह कैक कटावा कर उसे गिफ्ट देकर राज़ी करने जैसे ही रह जाएगा। सदा दिल से रिश्ते बनाए रखें और जीवन का आनंद लें।
सौजन्य : भंवरलाल
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