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शिव बना जब रोडी का पत्थर - Sabguru News
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शिव बना जब रोडी का पत्थर

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शिव बना जब रोडी का पत्थर

जहां नफरत ना हो, अपने पराये का अन्तर ना हो, जहां प्रकृति के जीव जगत पर प्रेम व सुरक्षा की भावना हो, जहां जाति, भाषा, धर्म की बात ना हो, किसी भी क्षेत्र मे पक्ष विपक्ष की भावना न हो, जो समान दृष्टि से बातें नहीं व्यवहार करे, जो शंतरज का मोहरा या किसी की कठपुतली नहीं हो, जो पद, प्रतिष्ठा और राज का लोभी नही हो, जहा वाणी मे प्रेम हो ओर जिसमे दूसरों को नीचा दिखाने का अवगुण ना हो।

अपने को सर्वत्र महिमा मंडित करवाकर, अपने नाम का ढंका जबर्दस्ती बजवाने वाला न हो। वही शिव हो सकता है। जिसमे त्याग की भावना हो, जो सभी को परेशानी मे डालकर फिर राहत की बूंद पिला अपना डर दूसरों के दिमाग में बैठाने वाला न हो। वही पूजनीय है ओर वह ही शिव है।

शिव स्वयं पूजा जाता है क्योंकि उसमे शीतलता है। शिव स्वयं जाना जाता है क्योंकि उसमे बैर विरोध की भावना नहीं है। शिव स्वयं माना जाता है क्योंकि वो त्यागी है।

सृष्टि को समाप्त करने की शक्ति शिव में है फिर भी वह अपने खिलाफ बोलने वालो का कुछ नहीं बिगाड़ता सात्विक, राजसी ओर तामसी इन तीनों गुणों से ऊपर है शिव इसलिए वह अहंकारी नहीं है। झूठ, कपट, छल का बादशाह नहीं है।

वह जगत का शरण दाता है फिर भी अपने आप को मसीहा नहीं मानता। वह जगत का कल्याण करके भी जगत का कल्याण कर्ता नहीं बनता, मानव की तरह कल्याण करने का शोर मचा कर।वह जगत का स्वामी है और हम अपने काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अंहकार के स्वामी हैं। हम चार लोगो का कल्याण कर चार सौ के आंकड़े बताते हैं। चार रूपए का दान कर चालीस की रसीद कटवाते हैं फिर भी हम दानी कहलाते हैं।

एक राज्य के एक गांव की बात है गांव के बाहर एक फालतू जगह बना रखी थी जहा सारे गांव का कचरा व कूड़ा डाला जाता था, उस स्थान को “रोडी कजोडी ” का क्षेत्र बोलते हैं। गांव के इस रोडी क्षेत्र में भी कई व्यक्ति रहते थे। अपनी आस्था के प्रतीक शिव लिंग को यही पर रहने वाले लोग स्थापित कर अपनी भक्ति का आनंद लेते थे।

रोडी के क्षेत्र के ही एक पत्थर को शिवलिंग के रूप मे पूजते पूजते इन लोगों को कई वर्ष बीत गए। वहा शिव के नामी भक्त हुए तथा बाहर से आने वाले हजारों व्यक्तियो की आस्था का केंद्र बन गया वो रोडी का शिवलिंग व वहां के रहने वाले लोग।

रोडी के आसपास का क्षेत्र शिव मंदिर के कारण विकसित हो गया लेकिन उस गांव मे दूसरे बाहर से आने वाले नहीं जाते थे और ना ही गांव वाले उस रोडी के शिव मंदिर में छोटे लोगों की बस्ती समझ कर आते।

रोडी के विकास व भक्ति के चमत्कार को गांव वाले बर्दाश्त नहीं कर पाए ओर एक दिन वो सब मिलकर आए ओर रोडी के शिव मंदिर बनाने वालों को वहां से जमीन पर गांव का अधिकार बताते हुए निकल दिया तथा जाने के लिए कह दिया।

दो दिन बाद रोडी शिव मंदिर मे भूकंप आया तथा मंदिर सहित आसपास का क्षेत्र बड़े खड्डे में तब्दील हो गया ओर वो बरसात के जल से भर गया।

सृष्टि के निर्माण करने वाले ने छोटी व बड़ी चीज मे अन्तर नहीं किया तथा सभी को अपने गुणों से परिपूर्ण किया। जिसने भी इसमे भेद करने की कोशिश की अपने लोभ वश तब प्रकृति ने स्वयं प्रलय बन उन सब को निपटा दिया।