सबगुरु न्यूज। काले बादल जब सर्वत्र एक समान गरज कर बरसते हैं तो चारों ओर तबाही का तांडव मच जाता है। पानी का बहाव सभी को अपने शिंकजे में कसकर बेघर तथा रोजी के लिए मोहताज कर देता है। गरीब की झोपड़ी उजड जाती है। मध्यम वर्ग के घरों में पानी घुसकर जान माल का नुकसान कर उन्हें भूखा बना देता है लेकिन अमीर आदमी ऊंची छतों पर चढ़कर अपने आप को बचा लेता है।
भारी बारिश के बाद राहत की धूप का आनंद केवल अमीर ही ले पाता है क्योंकि पूरी व्यवस्था में केवल वह अकेला ही छत पर खड़ा रहकर अपने कपड़े सुखा सकता है। यह सब नजारा देख भारी बरसात भी कुदरत के कहर से डर जाती है और सर्वत्र समान बरसात की असफलता को देख, दंड पाने के लिए भयभीत हो जाती हैं।
मानव द्वारा बनाई गई योजना की जब यही स्थिति हो जाती है तो वह फिर नाकाम मसीहा की तरह राहत की दवा लेकर चारों तरफ निकलता है, लेकिन अमीर तबका ही उस दवा को पीकर संजीवनी की तरह अमर हो जाता है और शेष तबका बेहोश पडा रहता है।
असफल व्यवस्थापक अपनी भारी असफलता को छिपाने के लिए अमीर तबके को सारथी बनाकर महाभारत में नई युद्ध प्रणाली घोषित कर फिर सब का ध्यान मूल समस्या से हटा देता हैं और चक्रव्यूह का युद्ध घोषित कर अभिमन्यु को घेरने की कोशिश करता है। युद्ध में भले ही अभिमन्यु हार जाता है लेकिन युद्ध का विजेता फिर भी अभिमन्यु का समूह ही रहता है।
संत जन कहतें है कि हे मानव जब ऐसे व्यक्ति जब आईने के सामने खड़े होते हैं तो आईना उनकी सूरत देखकर उनसे उलझ जाता है और बार बार धिक्कारते हुए कहता है कि हे बेरहम! काश तू विधाता बन जाता तो सारी सृष्टि को ही खत्म कर देता और केवल अपने चाहने वालों को ही इस सृष्टि मे जन्म लेने देता।
आईना हर बार ऐसे व्यक्ति को लताड़ लगाता है लेकिन अपने स्वार्थो का अंधा व्यक्ति फिर धृतराष्ट्र की तरह बनकर आखिर हार जाता है। हे मानव तू डर मत और अपने कर्म को अंजाम दे तेरी विजय होगी।
सौजन्य : भंवरलाल