सबगुरु न्यूज। मौत की मोहब्बत को ठुकरा कर व्यक्ति बगावत करता है ज़िन्दगी के लिए। अपने पराये व दुनिया को दर किनार कर वह एक बेबफा की गोद के आगोश में सो जाता है। वह बेवफा उम्र भर उसे परेशान कर उसे छलनी बना कर अंत में लात मारकर जमीन पर दर्द से चिल्लाने के लिए पटक कर चली जातीं हैं। वह अंतिम सांसे लेता लेता टसकता रहता है लेकिन वहां कौन था उसकी बात सुनने वाला।
इतने में एक आवाज़ आई, घायल व्यक्ति टसकते टसकते ध्यान दे कर सुनने लगा। आवाज में सुनाई दिया कि हे मेरे प्रियतम, ऐ मेरे मसीहा, तू मेरा अपना है। मैं महबूबा और तू मेरा महबूब है। अपना साथ तो चोली दामन का है। तू घबरा मत, अब सब कुछ ठीक होने जा रहा है और हम दोनों का मिलन होने जा रहा है। घायल व्यक्ति को बहुत राहत मिली कि अब मैं दुरूस्त हो जाऊंगा।
इसी आशा मे वो फिर लक्ष्मी की गणित में लग गया। जमीन जायदाद, नकद उधार, व सोने चांदी कीमत का मूल्य आंक कर राज़ी होंने लगा। इतने में उसे घुटन होने लगी ओर वह तडफडाने लग गया। इतने में मदमस्त चाल चलती हुई मौत आई ओर वो उस घायल का बिना कुछ बोले ऊठा कर ले गई और सब कुछ धरा रह गया।
यह स्थिति देखकर एक बार यमराज भी घबरा गए और आपनी बहन यमुना के बुलाने पर उसके घर पहुंच गए यमुना ने यमराज को भोजन कराया और उसकी पूजा की भावी अनिष्ट को टालने के लिए। बदले में यमराज ने उसे उपहार दिया।
संत जन कहतें है कि हे मानव, यमराज मृत्यु का देवता है और उसे कोई भी अपने घर बुलाना नहीं चाहता। जब यमराज ने देखा की मेरी बहन मुझे बुला रही है। यह जरूर मेरे ही हित की बात है तथा भावी अनिष्ट मेरे ऊपर आ सकता है और यही सोच वो यमराज अपनी बहन के घर चले गए।
हे मानव जीवन का सत्य केवल मौत हैं ओर वह हर संकट से मुक्ति दिलाती है। नहीं चाहते हुए भी वह शेष शान्ति के लिए ले जाती हैं। इसलिए हे मानव तू डर मत ओर जीवन को गंवा मत क्योकि ये बेबफा है। अधिक से अधिक इससे मानव कल्याण कर, तेरी महबूबा मौत भी तुझसे खुश हो जाएगी।
सौजन्य : भंवरलाल