सबगुरु न्यूज। सदियों से दैव, दानव, मानव ओर जीव सदा अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए सर्वत्र शांति का नाश कर सभ्यता और संस्कृति को संघर्ष में ढकेल एक ऐसी आग जला देते थे जिसमे सच धुएं की तरह उठकर आग से दूर होकर आसमां में छा जाता था, असत्य खुद आग की भस्म बन कर अपनी जीत का ऐलान करता है।
सृष्टि काल का इतिहास इसका प्रमाण देता है कि कभी देव सत्ता में रहें तो कभी दानव। हर सत्ताधारी अपनी संस्कृति के अनुसार को अपना वर्चस्व कायम करने का प्रयास करते हैं और इसमें वो सफल नहीं हो पाते हैं तो फ़िर हर हथकंडो को अपना कर एक ऐसी आग लगा देते हैं जिसमें विरोध करनें वालों की आहुति दे दी जाती हैं।
बाहुबल धनबल से भी जब वो सफ़ल नहीं हो पाते हैं तो फिर वो झूठ फरेब कपट के सहारे हर जगह सत्य को अपने प्रतिनिधियों से कूचलवाते हैं। मानव कल्याण के बहाने ऐसी आग लगा देते हैं जिसमें सत्य धुएं की तरह आग से दूर होकर आसमां में छा जाता है तथा अपनी बरबादी पर आंसू बहाते हुए नीचे लगी आग में झूठ फरेब लालच ओर कपट अंहकार के भोजन को पका हुआ देखता रहता है। वही भोजन प्रसाद मान समस्त भोजन में मिला दिय़ा जाता है और आवश्यक रूप से यह सारा प्रसाद जन सामान्य को खिलाया जाता है।
सत्ता का यह मैला सच सर्वत्र शांति को अशांति में तब्दील कर समाज में संघर्ष करा देता है। जहां धर्म, जाति, वर्ग, भाषा, लिंग, स्थान के नाम पर आपस में लडाकर सर्वत्र अशांति को स्थापित कर देते हैं और असत्य की भस्म एक भयंकर धूल भरी आंधी की तरह सबको ढक देती है। सत्ता अपना विजयी शंखनाद युद्ध होने से पहले ही बजा देती है।
सत्ता के इस खेल में मात्र दस प्रतिशत लोग सबसे पहले बीस प्रतिशत अति अमीर लोगों को अपने इस खेल अपने सारे अधिकार सौंप देती हैं और ये अति अमीर वर्ग फिर समाज की दिशा ओर दशा को तय करते हुए 70 प्रतिशत लोगों पर राज करते हैं। यही लोग सत्य के धुएं में खोकर परमात्मा के आधार को मानते हुए सदा मुश्किल से जूझते रहते हैं टूटते रहते हैं ओर सत्ता की आग से झूलसते रहते हैं।
संत जन कहते है कि हे मानव, सत्ता में परमात्मा बन स्वयं सत्ताधारी ही अपनी ही नीतियों से सबको हांकते रहते हैं और विरोध करने वालों को अलग अलग ढंग से निपटाते रहते है। इसलिए हे मानव तेरा परमात्मा तो कर्म है और तू निष्काम कर्म को करता चल भले ही तुझे हर दुख झेलने पड़े क्योकि एक दिन निश्चित रूप से इस जगत का सत्ताधारी श्रीकृष्ण जी की तरह अवतार लेगा तथा कंस दुर्योधन जैसें हजारों जुल्म करनें वालों को मोत के घाट उतार देगा ओर सत्ता के इस महाभारत में तुम पांच पांडवो की तरंह विजयी हो जाओगे।
सौजन्य : भंवरलाल