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आग में जलती विरासत की वसीयत - Sabguru News
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आग में जलती विरासत की वसीयत

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आग में जलती विरासत की वसीयत

सबगुरु न्यूज। मातम सा छा गया था उस रात जंगल की दुनिया में ‘जिस रात को जंगल के राजा और उसके कुनबे को बेरहमी ख़ूनी शिकारियों ने मार डाला। मरते हुए शेर की दहाड़ सुनकर सुनसान जंगल में शेरनी निकल पड़ी। वहां कोई भी नजर नहीं आ रहा था। थक हार कर वह अपनी मांद में आ गई और अपने बच्चे को सहलाती रहीं।

इसी तरह हर रात वह शेर के कातिल को ढूंढने जंगल में निकलती लेकिन उसे कातिल नहीं मिलता। जंगल में उसे हर दिन भयंकर जंगली जानवरों से मुकाबला करना पड़ता था। लेकिन वह कभी भी ना घबराई और हर बार मुकाबला करतीं रही।

जंगली जानवर इसी टोह मे थे कि कब ये जंगल छोड़ कर भागे और जंगल के राजा हम बने। वह भी शेरनी थी, वह किसी से भी नहीं डरी और अपने बच्चे की परवरिश करतीं रही। उसका सपना यहीं था कि यह शेर का बच्चा जंगल का राजा बने।

शेरनी की यह स्थिति देख जंगल के कुछ खतरनाक जंगली जानवरों ने एक गिरोह बनाया और एक दिन उस गिरोह ने शेरनी व उसके बच्चो को उसकी मांद में ही घेर लिया। शेरनी डरी नहीं और रण के मैदान में जंगली जानवरों से मुकाबला करने लगी। उसका बच्चा भी चिखता चिल्लाता रहा लेकिन आखिर में शेरनी वहां से अपने बच्चे को सुरक्षित ले कर निकल पड़ी। शेर की मांद पर दूसरे जंगली जानवरों ने कब्जा कर लिया।

शेरनी बच्चे को बचाती बचाती दर दर जंगल मे भटकती रही। दिन गुजरे और बच्चा पूरा शेर बन गया, वह अपनी खोई विरासत को कब्जाने के लिए चुनौती पूर्ण खेल में उतर गया।

एक दिन जंगल में पेड़ों की रगड़ से आग लग गई और पूरा जंगल धू धू कर जलने लगा। सभी जंगली जानवर उस जंगल से भाग गए और शेरनी यह नजारा देख प्रसन्न हो गई। वह बोली कि बेटा तेरे पिता की विरासत को तू संभाल अब मैं शक्ति हीन हो गई हूं। हमारी ये मांद भी अब खाली हो गई। इतने में शेरनी ने प्राण त्याग दिए और उसका बच्चा जंगल का राजा बन गया।

संत जन कहते है कि हे मानव दुश्मन कितना भी बलवान क्यो न हो यदि वह छल, कपट, झूठ, फरेब, प्रपंच की चादर ओढ़कर साधु और सज्जन बनने का संवाग करता है या भावुकता के खेल से भीख मांगता है तो समझो उसका पतन निकट ही है। वह कुछ समय तक ही इस भीख से गुजारा चला सकता है, बाद में भूख से ही मर जाता है।

इसलिए हे मानव तू साहसी बन, आसमां से ओलो की बरसात रोज नहीं होती। इस ठंडे ओलों को तू उठा। एक दिन ये ओले तुझे ठंडा पानी पिला कर तेरे शरीर को निरोगी बना देंगे और शरीर की आग को शीतलता प्रदान करने में तुझे कामयाब बनाएंगे।

सौजन्य : भंवरलाल