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Hindutva adhyatm sewa sangam
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कर्तव्यबोध कराएगा हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम : गुणवंत कोठारी

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कर्तव्यबोध कराएगा हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम : गुणवंत कोठारी

gunwant kothariउदयपुर। सेवा मनुष्य के अहंकार को समाप्त करती है, विनम्रता और संवेदनषीलता का भाव जगाती है। सेवा मनुष्य को समाज से जोड़ती है, प्राणिमात्र से जोड़ती है। इसी कर्तव्य का बोध मनुष्य को हो, इसका ही प्रयास है हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम।

यह बात रविवार को यहां विद्यानिकेतन सेक्टर-4 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सहसेवा प्रमुख गुणवंत सिंह कोठारी ने पत्रकारों से बातचीत में कही।

उदयपुर में 10 से 13 नवम्बर तक होने वाले हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम की तैयारियों के तहत विद्या निकेतन में आयोजित सेवा संस्थाओं की कार्यशा के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह आयोजन अध्यात्म और सेवा में नया आयाम जोड़ेगा।

उन्होंने कहा कि मनुष्य धन-सम्पदा से महान नहीं होता, बल्कि मनुष्य की महानता का मापदण्ड उसके हृदय की विषालता और उदारता है। भारत का अध्यात्म भी यही कहता है ‘उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’। सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण की भावना ही भारत का अध्यात्म है और कल्याण तभी संभव है जब हर मनुष्य में सेवा का कर्तव्यबोध हो।

कोठारी ने नवम्बर में होने वाले हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम के संदर्भ में बताया कि यह मेला हिन्दू अध्यात्म सेवा क्षेत्र की विषालता का परिचय कराएगा। हिन्दू समाज की संस्थाएं किन-किन क्षेत्रों में सेवा कर रही हैं, इसकी व्यापक जानकारी उपलब्ध होगी।

जो लोग सेवा की भावना मन में रखे हुए हैं, उनके लिए इनसे जुड़ने का स्वर्णिम अवसर भी यह मेला उपलब्ध कराएगा। मेला मूल रूप से छह मूल्यों पर अधारित होगा। इनमें वनों का संरक्षण एवं वन्यजीवों का संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकी संरक्षण, मानवीय व पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना, नारी सम्मान को प्रोत्साहन, देशभक्ति का भाव जगाना शामिल हैं।

gunvaसेवा संस्थाओं की कार्यशाला

सेवा क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न सेवा संस्थाओं की कार्यषाला का भी आयोजन रविवार को विद्या निकेतन सेक्टर-4 में हुआ। इस कार्यषाला में गुणवन्त सिंह कोठारी ने हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम की अवधारणा व उदयपुर संगम की जानकारी दी। इसके बाद संस्थाओं से आए प्रतिनिधियों से विचार विमर्ष एवं जिज्ञासा समाधान का सत्र हुआ।

पूर्व में देश के विभिन्न स्थानों पर लग चुके हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम के दृष्य भी पीपीटी के माध्यम से दिखाए गए। उन मेलों की जानकारी वाला पत्रक विमोचन भी किया गया। इस पत्रक में उदयपुर में होने वाले मेले के विभिन्न आयोजनों की जानकारी का भी समावेष किया गया है।

कोठारी ने कहा कि उद्योग जगत को भी इस संगम से लाभ होगा। उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य कर रही संस्थाओं से परिचित होने का मौका मिलेगा। उद्योगपति कई बार ऐसी संस्थाओं की तलाष में रहते हैं जो बेहतर सेवा कार्य कर रही हों।

जुलाई से स्कूलों में होंगी विभिन्न प्रतियोगिताएं

हिन्दू अध्यात्म सेवा संगम के तहत जुलाई से विद्यालयी प्रतियोगिताओं की शुरुआत हो जाएगी। इन प्रतियोगिताओं के लिए उदयपुर को चार जोन में बांटा गया है। पहले चरण में इन चारों जोन में आने वाले विभिन्न राजस्थान व केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध निजी व राजकीय विद्यालयों में विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी। यह प्रतियोगिताएं विद्यालय खुलने के साथ ही 15 अगस्त तक कराई जाएंगी।

दूसरा चरण जोन स्तर की प्रतियोगिताओं का होगा। इसमें स्कूल स्तर पर विजेता भाग लेंगें। यह चरण 15 अगस्त से 15 सितम्बर के मध्य होगा। इसके बाद जोन स्तर पर जीतने वाले बच्चों व टीमों के बीच मुकाबलों का अंतिम चरण अक्टूबर में होगा। फाइनल विजेताओं की रचनात्मकता का प्रदर्शन मेले में किया जाएगा।

प्रतियोगिताएं तीन कक्षा वर्गों में होंगी। कुछ प्रतियोगिताएं छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग व कुछ संयुक्त होंगी। एकल व सामूहिक रूप भी रखे गए हैं। पहला बाल वर्ग कक्षा छठी से आठवीं तक, दूसरा किषोर वर्ग नौवीं-दसवीं तथा तीसरा तरुण वर्ग 11वीं-12वीं का निर्धारित किया गया है। मेहंदी व रंगोली प्रतियोगिताएं सिर्फ छात्राओं के लिए होंगी।

प्रतियोगिताओं में कबड्डी, खो-खो, तैराकी, साइकिल रेस, तीरंदाजी के साथ सितोलिया तथा रुमाल झपट्टा जैसे पारम्परिक खेल भी शामिल किए गए हैं। साहित्यिक, सांस्कृतिक, शास्त्रीय प्रतियोगिताएं भी होंगी। एकल प्रतियोगिताओं में सम्पूर्ण वंदेमातरम् गायन, शास्त्रीय वादन, सुगम संगीत गायन, विचित्र वेशभूषा (मेले की छह थीम पर आधारित) शामिल हैं।

सामूहिक प्रतियोगिताओं में शास्त्रीय नृत्य, लोकगीत, देशभक्ति गीत गायन, देशभक्ति नृत्य, लोक नृत्य, नृत्य नाटिका, लघु नाटिका, वंदेमातरम् गायन (सम्पूर्ण) शामिल है। रचनात्मक प्रतियोगिताओं में रामचरित मानस चैपाई गायन, संस्कृत ष्लोक गायन, श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक गायन, भाषण, निबंध, चित्रकला, पोस्टर, स्वरचित काव्य पाठ आदि षामिल हैं। इन्हीं प्रतियोगिताओं में क्विज भी रखी गई है जो जोन स्तर पर होगी। इसमें एक विद्यालय से एक टीम (दो सदस्य) भाग ले सकेगी।

फतहसागर पाल पर होगा वंदेमातरम् गायन

8 नवम्बर को फतहसागर की पाल पर 50 हजार स्कूली बच्चे सामूहिक सम्पूर्ण वंदेमातरम् का गायन करेंगे। इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजेगा मेला

हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संगम में बाहर से भी नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है। स्थानीय प्रतिभाओं को भी मंच उपलब्ध कराया जाएगा। प्रयास यह किया जा रहा है कि प्रस्तुतियां मेले के लिए निर्धारित छह मूल्यों पर आधारित हों।