नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के लिए शनिवार का दिन इतिहास के पन्नों में शामिल हो गया है। क्योंकि आज भारतीय वायु सेना के लड़ाकू बेड़े में तीन महिला पायलटों अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह को शामिल किया गया है।
भारत में यह पहला मौका है जब महिला अधिकारियों को जंगी बेड़े में शामिल किया गया है। महिला पायलट परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर उड़ाती रही हैं, लेकिन उन्हें किसी कॉम्बैट ऑपरेशन में सक्रिय भूमिका नहीं दी गई थी। आज इन तीनों अधिकारियों के शामिल होने के बाद महिला अधिकारियों की युद्ध की स्थिति में सक्रिय भूमिका का रास्ता साफ हो गया है।
हैदराबाद स्थित वायुसेना अकादमी में शनिवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर की मौजूदगी में तीनों महिला फाइटर पायलट्स की पासिंग आऊट परेड हुई। तीनों महिला ट्रेनी, छह महीने की बेसिक ट्रेनिंग पिलेट्स विमान पर पूरी कर चुकी हैं। यह प्रशिक्षण हैदराबाद के करीब डुंडीगल वायुसेना अकादमी में हुई थी।
तीनों महिला पायलट ने हाकिमपेट एयरबेस पर छह महीने की ट्रेनिंग किरन-एयरकाफ्ट्स पर की। पासिंग आऊट परेड के बाद भी तीनों महिला पायलट को एडवांस जेट ट्रेनर, हॉक पर छह महीने की ट्रेनिंग और करनी होगी, जिसके बाद ही वह सुखोई, मिराज और जगुआर जैसे सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट्स उड़ा पाएंगी। अभी तक महिलाएं वायुसेना में काम तो कर सकती थी लेकिन उन्हे नॉन कॉम्बेट यानि ऐसे काम दिए जाते थे जहां उनका मुकाबला सीधे दुश्मन से ना हो।
मोहना जहां राजस्थान के झुंझुनूं जिले की रहने वाली हैं, वहीं भावना बिहार के दरभंगा की हैं। अवनी मध्य प्रदेश के सतना से संबंध रखती हैं। दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल से अध्ययन करने वाली मोहना सिंह के पिता भी भारतीय वायु सेना में हैं।
उन्होंने बताया कि भावना ने एमएस कॉलेज बेंगलुरु से बी.ई. इलेक्ट्रिकल और अवनी ने राजस्थान के टोंक जिले में बनस्थली विद्यापीठ से कम्यूटर साइंस की डिग्री हासिल की है।
अवनी चतुर्वेदी, भावना कांथ और मोहना सिंह ने मार्च में ही लड़ाकू विमान उड़ाने की योग्यता हासिल कर ली थी। इसके बाद उन्हें युद्धक विमान उड़ाने का गहन प्रशिक्षण दिया गया।