सबगुरु न्यूज-सिरोही। इस दशहरे पर फिर से सिरोही में पांच साल पुरानी कहानी की पुनरावृत्ति होगी। बस पात्रों में फेर बदल है और पार्टी में भी। तब वर्तमान भाजपा ब्लॉक अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी, जो पूर्व बोर्ड में नेता प्रतिपक्ष थे, के आह्वान पर तत्कालीन सभापति जयश्री राठौड़ के विरोध में राम झरोखा में रावण जलाया गया था और इस दशहरे को कांग्रेस ने भाजपा के वर्तमान सभापति का दशहरे के दिन नगर परिषद के सामने पुतला फूंकने का आह्वान किया है।
कांग्रेस का आरोप वही है कि वह सभापति पार्षदों की अनदेखी कर रहे हैं, दशहरे पर रावण दहन के आयोजन के लिए बोर्ड की बैठक नहीं बुलवाई वगैरह-वगैरह। वैसे मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सभापति ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कांग्रेस और उनके कद्दावार नेता को यह कहते हुए ललकार भी दिया है कि वह उन पर लगाए गए आरोपों को सिद्ध करके बताएं।
पांच साल पहले भी सिरोही में दो दशहरे बनाए गए थे। एक भाजपा का दशहरा दूसरा कांग्रेस का। भाजपा ने रामझरोखा में दशहरा बनाया था, वैसे कांग्रेस के दो पार्षद भी इस दशहरे में शामिल थे। इसी दौरान एक अतिरिक्त पुतला भी जलाया था, शूर्पनखा का। ये किसके प्रतीक था यह इतिहास के गर्भ में ही रहे तो अच्छा है, लेकिन एक बार फिर इसी तरह के घटनाक्रम की पुनरावृत्ति इस बात की ओर इशारा करती है कि समय बीतने के बाद भी इतिहास से कुछ सीखा नहीं गया।
इतिहास की गलतियों से वर्तमान सभापति और पार्षदों ने कुछ सीख नहीं ली तो इतिहास इस बार फिर अपने आपको दोहराने के लिए तैयार है और यह इतिहास सिर्फ रावण दहन के दिन ही अपने आपको दोहराएगा ऐसा नहीं है। यह हर उस गलती पर दोहराएगा जिसकी सिरोही नगर परिषद में पुनरावृत्ति हुई है। फिर चाहें वो नियमों में ताक पर रखकर किए गए कामों की हो या फिर कथित भ्रष्टाचारों की। क्योंकि हर गलती कीमत मांगती है।
-साख कांग्रेस की भी दाव पर
नेता प्रतिपक्ष की ओर से सभापति पर लगाए गए आरोपों को उन्होंने मीडिया रिपोर्टों में सिरे से खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं नेता प्रतिपक्ष के साथ इनके आला नेताओं को भी ललकार दिया है कि वह उन पर लगाए गए कथित आरोपों को सिद्ध करके बताएं।
अब खुद कांग्रेस और उनके आला नेताओं के लिए यह एक साख का विषय बन गया है कि वर्तमान सभापति के नेतृत्व में भाजपा बोर्ड पर लगाए गए कथित भ्रष्टाचार के आरोपों का किसी जांच एजेंसी के माध्यम से ही सिद्ध करके बताएं क्योंकि संविधान और जनता में तो राजनीतिक आरोपों से ज्यादा न्यायालय में दोषसिद्धी ज्यादा मान्य है।
ऐसे में कांग्रेस की ओर से भाजपा पर लगाए गए पट्टे घोटाले, नौकरी घोटाले समेत सभी आरोपों पर न्यायालय आरोप पत्र दाखिल हुए बिना यह आरोप स्वयं सभापति, भाजपा और जनता के लिए अमान्य ही रहेंगे।