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बॉलीवुड स्टार सलमान की सजा, समाज में बड़ा संदेश - Sabguru News
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बॉलीवुड स्टार सलमान की सजा, समाज में बड़ा संदेश

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बॉलीवुड स्टार सलमान की सजा, समाज में बड़ा संदेश
hit and run case 2002 : salman khan guilty of all charges
hit and run case 2002 : salman khan guilty of all charges
hit and run case 2002 : salman khan guilty of all charges

लालू यादव, ओमप्रकाश चौटाला, सुब्रत राय सहारा, संजय दत्त और अब सलमान खान को मिली सजा ने न्याय के समक्ष समानता को प्रतिष्ठित किया है।

न्यायपालिका ने इस धारणा को खारिज किया कि धन के बल पर देश में सब कुछ किया जा सकता है। जमानत मिलना और ऊपरी अदालत में अपील न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
ऐसे में महत्वपूर्ण केवल यह है निचली अदालत ने गणमान्य लोगों के साथ कोई रियायत नहीं की। जब इस स्तर के लोगो को सजा मिलती है तो समाज में बड़ा संदेश जाता है। ऐसी प्रत्येक सजा का व्यापक निहितार्थ होता है।
सलमान खान को हिट एण्ड रन मामले में 5 वर्ष की सजा सुनाई गयी। इसका पहला संदेश तो यही है कि देश में संवैधानिक शासन व्यवस्था है।
संविधान में न्याय के समक्ष समानता का लिखित आश्वासन दिया गया। न्याय के सामने राजा और रंक सभी समान हैं। किसी भी दशा में इसका पालन होना चाहिए। अन्यथा समाज में गलत संदेश जाता है। आज भी देश में उम्मीद की अन्तिम आशा न्यायपालिका से की जाती है।
लोगों को लगता है कि न्यायपालिका ही उन्हें शोषण से मुक्ति दिला सकती है। भारतीय न्यायपालिका ने अपने इस संवैधानिक दायित्व का निर्वाह सदैव किया है। संवैधानिक शासन व्यवस्था के संचालन में न्यायपालिका का इसीलिए महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि लालू यादव, ओमप्रकाश चैटाला, सुब्रत राय, संजय दत्त या सलमान जिस स्तर का वकील अपने लिए कर सकते हैं, उनके बारे में देश की अधिकांश आबादी सोच भी नहीं सकती लेकिन न्यायिक निर्णयों से साबित हुआ कि गरीब भी न्याय की कामना कर सकता है।
सलमान खान की गाड़ी से जिस व्यक्ति की मौत हुई, और जो घायल हुए, वह सभी अति निर्धन थे। सलमान की ओर से पैरवी में कोई कसर नहीं रखी गयी। कहा गया कि वह रात में ढाई बजे शराब नहीं पानी पीकर पार्टी से निकले थे। जानकार बताते हैं कि देर रात तक चलने वाली ऐसी पार्टियों में कोई पानी पीने नहीं आता है।
फिर कहा गया कि कार ड्राइवर चला रहा था। ऐसे मामलों में ड्राइवर को बयान देने के लिए कैसे राजी किया जाता है, इसका लोग अनुमान लगा सकते हैं। कई फिल्मों में भी ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं इस तर्क में कोई नई बात नहीं थी। कहा गया कि एक तरफ का दरवाजा जाम होने की वजह से सलमान ड्राइवर वाली सीट से उतरे थे।
न्यायपालिका ने कितनी गहराई से सभी बयानों व तथ्यों का विश्लेषण किया होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इसीलिए उन तमाम तर्कों को खारिज कर दिया गया। अंततः न्याय की जीत हुई। इसमें कोई संदेह नहीं कि सलमान बहुत बड़े और लोकप्रिय कलाकार हैं।
बताया जाता है कि वह जरूरतमंदों की मदद करते हैं, अनेक लोगों का इलाज करा चुके हैं। लेकिन ये सब बातें किसी को कानून से ऊपर का दर्जा नहीं दे सकती। यह अच्छी बात है कि सलमान के सामान्य प्रशंसकों ने उन्हें मिली सजा पर दुख तो व्यक्त किया, लेकिन न्यायिक निर्णय को उचित माना है। एक सामान्य धारणा है कि यदि किसी ने अपराध किया है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए।
यदि ऐसी ही सजा किसी सामान्य व्यक्ति को मिलती है तो देश में उसकी चर्चा नहीं होती। लेकिन सलमान को मिली सजा पूरे देश में चर्चित हुई। इससे कुछ बातों पर हमारे समाज का ध्यान आकर्षित हुआ है। लोगों को इस सजा के माध्यम से संदेश मिला है। पहला संदेश यह कि शराब पीकर वाहन ना चलाया जाए।
यह कानूनी अपराध है। इसके अलावा ऐसा करके वाहन चलाने वाला अपनी तथा दूसरों की जान भी जोखिम में डालता है। सलमान भाग्यशाली थे, कि शराब पीकर वाहन चलाने के बाद भी उन्हें खरोच नहीं लगी। लेकिन फुटपाथ पर सो रहे गरीब को उनके किए की सजा भुगतनी पड़ी।
दूसरा संदेश यह मिला कि सभी को लाइसेंस साथ में रखने के बाद ही वाहन चलाना चाहिए। वाहन की स्पीड पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए। अभिजीत भट्टाचार्य जैसे लोगों के बयानों से ऐसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने संवेदनहीन ट्वीट में कहा कि जो सड़क पर सोएगा वह कुत्ते की मौत मरेगा।
अभिजीत की माने तो सड़क के किनारे सोने वालों पर वाहन चढ़ा देना चालक का अधिकार है। प्रत्येक मनुष्य का जीवन अमूल्य है। यह बात सबको समझनी चाहिए। सलमान को केवल पांच वर्ष की सजा मिली उनका पूरा परिवार स्वाभाविक रूप से परेशान हो गया। सभी लोग रोने लगे। हिट एण्ड रन में जिस व्यक्ति की जान चली गयी, उसके परिवार पर क्या बीती होगी।
उसके परिजन तो आजीवन इस दुख से ऊबर नहीं सकते। सलमान की सजा यदि बहाल भी रहती तो पांच वर्ष बाद वह अपनों के बीच आ जाते। लेकिन उनकी लापरवाही से जो चला गया, वही कभी वापस नहीं लौट सकता। मनुष्य का जीवन अमूल्य है। सड़क के किनारे सोने वाले कुत्ते को कुचलने का भी किसी को अधिकार नहीं होना चाहिए।
फिर भी अभिजीत के बयान ने देश की व्यवस्था का अनजाने ही बड़ा मुद्दा उठा दिया है। यह सलमान के हिट एण्ड रन से सीधा जुड़ा हुआ है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी करोड़ों लोग बेघर हैं, सड़क के किनारे सोने को विवश हैं। मुम्बई में इनकी संख्या बहुत अधिक है। वैसे देश का कोई महानगर ऐसा नहीं होगा, जहां सड़क के किनारे रैन बसेरा बनाए लोग नहीं हैं। देश और प्रदेशों की राजधानी में ऐसे नजारे खूब देखे जा सकते हैं।
कई जगह ये अपने दैनिक उपयोग की सामग्री एक बोरी में भरकर पेड़ की टहनियों में फंसाकर मजदूरी करने निकल जाते हैं, रात को उसी पेड़ के नीचे सड़क के किनारे सो जाते हैं। लखनऊ के बहुखण्डीय मंत्री आवास से कुछ कदम की दूरी पर ऐसे पेड़ देखे जा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से ऐसी जिन्दगी स्वीकार नहीं करता।
कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश का गांव छोड़कर मुम्बई में मजदूरी करने नहीं जाता। जहां वह जानता है कि उसे सड़क के किनारे सोना पड़ेगा। लेकिन अपने व अपने परिवार के भरण पोषण हेतु उसे ऐसा करना होता है। यह बेरोजगारी की समस्या का परिणाम है। यह आधुनिक भारत की एक तस्वीर है। छह दशक में करोड़ों लोगों को उनके घर के आसपास रोजगार नहीं दिया जा सका।
इसी मुम्बई में कुछ ऐसे इलाके या क्लब भी हैं जहां रात को बारह बजे दिन निकलता है, सुबह को छः बजे रात होती है। इस दिनचर्या का सड़क किनारे सोने वाले लोगों से सामंजस्य कैसे हो सकता है। इन सभी मसलों पर सरकार को विचार करना चाहिए।
वहीं न्यायपालिका को अपने भीतर ही यह विचार करना चाहिए कि ऐसे सामान्य मुकदमों में सेशन कोर्ट से ही निर्णय में तेरह वर्ष क्यों लग जाते हैं। कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका तीनों को इस पर विचार करना चाहिए एक निर्णय ने चिंतन के लिए व्यापक धरातल उपलब्ध कराया है।
-डाॅ.दिलीप अग्निहोत्री

 

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