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होली एक लेकिन मनाने के तरीके अनेक, पढ़ के हैरान हो जाएंगे आप - Sabguru News
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होली एक लेकिन मनाने के तरीके अनेक, पढ़ के हैरान हो जाएंगे आप

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होली एक लेकिन मनाने के तरीके अनेक, पढ़ के हैरान हो जाएंगे आप
How to believe Holi festival in different places in India
How to believe Holi festival in different places in India
How to believe Holi festival in different places in India

जैसा की हम सब जानते है हमारे अनेक त्‍योहार आते है और हर त्‍योहार भारत में अलग-अलग जगह अलग प्रकार से मानते है  और अपने देश में बड़े ही धूमधाम से हर त्‍योहार मनाया जाता है, मगर होली की बात ही कुछ और है। रंगों के इस त्‍योहार को लेकर लोगों का उत्‍साह देखते बनता है। हालांकि राज्‍य या शहर बदलते ही होली खेलने का अंदाज भी बदल जाता है, मगर होली की खुमारी व मस्‍ती का नजारा हर जगह एक जैसा होता है। तो चलिए आपको बताते हैं अपने देश में कहां-कहां किस तरह से होली मनाई जाती है –

उत्तर प्रदेश का मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव यह पूरा ब्रज का इलाका है, कहते हैं यहीं से होली की शुरुआत हुई और यहां की होली में सबसे ज्‍यादा मस्‍ती देखने को मिलती है। सप्‍ताह भर पहले से ही जश्‍न शुरू हो जाता है और यहां लोग सिर्फ रंगों से ही नहीं बल्कि लड्डुओं व लाठियों से भी होली खेलते हैं। इसे लट्ठमार होली कहते हैं, परंपराओं के मुताबिक, महिलाएं लाठियां बरसाती हैं और पुरुष अपना बचाव करते हैं और यह नजारा इतना दिलचस्‍प होता है कि इसे देखने के लिए देश भर से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से हजारों लोग यहां आते हैं।

How to believe Holi festival in different places in India
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राजस्‍थान:- राजस्थान की होली तीन प्रकार की होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते हैं और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती हैं। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी बेहद खूबसूरत होती है।

उत्‍तराखंड:- उत्तराखंड के कुमाउं क्षेत्र में भी धूमधाम से होली मनाई जाती है। स्‍थानीय लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और समूह में गाना गाते व नृत्‍य करते हुए जश्‍न मनाते हैं। वहीं राह गुजरते लोगों का स्‍वागत करते हैं, इस तरह के समारोह को यहां बैठकी होली या महिला होली के नाम से भी जाना जाता है। जबकि यहां होली बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है।

पंजाब: पंजाब में होली को ‘होला मोहल्ला’ कहते हैं जो पवित्र धर्मस्थान श्री आनंदपुर साहिब में होली के अगले दिन मनाया जाता है। यहां पर होली पौरुष के प्रतीक पर्व के रूप में मनाई जाती है। इसीलिए दशम गुरू गोविंदसिंहजी ने होली के लिए पुल्लिंग शब्द होला मोहल्ला का प्रयोग किया। होला मोहल्ला का उत्सव आनंदपुर साहिब में छह दिन तक चलता है। इस अवसर पर, घोड़ों पर सवार निहंग, हाथ में निशान साहब उठाए तलवारों के करतब दिखा कर साहस, पौरुष और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं।

बंगाल:- बंगाल में होली को ‘डोल यात्रा’ या ‘डोल पूर्णिमा’ कहते हैं। होली के दिन राधा और कृष्ण की प्रतिमाओं को डोली में बैठाकर पूरे शहर में घुमाते हैं और औरतें उसके आगे नृत्य करती हैं। यह भी अपने आप में एक अनूठी होली है। बंगाल में होली को बसंत पर्व भी कहते है। इसकी शुरुआत रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में की थी। उड़ीसा में भी होली को डोल पूर्णिमा कहते हैं और भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।

गोवा:- गोवा के निवासी होली को कोंकणी में शिमगो या शिमगोत्सव कहते हैं। वे इस अवसर पर वसंत का स्वागत करने के लिए रंग खेलते हैं। गोवा में शिमगोत्सव की सबसे अनूठी बात पंजिम का वह जुलूस है, जो होली के दिन निकाला जाता है। यह जुलूस अपने गंतव्य पर पहुंचकर सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिवर्तित हो जाता है। इस कार्यक्रम में नाटक और संगीत होते हैं। हर जाति और धर्म के लोग इस कार्यक्रम में उत्साह के साथ भाग लेते हैं।

बिहार:- बिहार में होली का अपना एक अलग ही अंदाज है। यहां होली के मौके पर फगुआ और जोगिरा गाने का रिवाज है। साथ ही कई स्थानों पर कीचड़ की होली भी इस पर्व को खास बनाती है। इसके अलावा होली की खुशी में यहां के लोग इस दिन जमकर भांग भी चढ़ाते हैं दिल खोलकर डांस करते हैं। साथ ही बिहार की कुर्ता फाड़ होली भी बहुत फेमस है।

हरियाणा:- हरियाणा की होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां देवर, भाभी को रंगने की कोशिश करता है और बदले में भाभी देवर की लाठियों से पिटाई करती है। यहां होली को ‘दुल्हंदी’ भी कहते हैं।

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