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untold story : मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों से गुजरती है महिलाएं - Sabguru News
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untold story : मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों से गुजरती है महिलाएं

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untold story : मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों से गुजरती है महिलाएं

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धार। धुलेण्डी पर्व पर समीपस्थ ग्राम तिरला के समीप गंगानगर में आदिवासियों का मेला लगा। इसमें गलचूल की अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता है, जो कई सालों से चली आ रही है।

गंगानगर में बडी संख्या में आदिवासी के साथ महिलाएं भी खुशी के सराबोर होकर इस मेले में पहुंची। मेले की शुरूआत मांदल की थाप पर नाचने से हुई।

यहां लगने वाला मेला पूरी तरह से आदिवासी संस्कृति में रचा-बसा होता है। आदिवासी महिलाएं चांदी के आभूषण पहनकर बन संवरकर आई, वहीं आदिवासी पुरूष गले में बडे-बडे मांदल डालकर खूब नाचे।

इसके बाद शुरू हुआ मन्नत उतारने का सिलसिला जो महिलाएं अपने परिवार की सुख, शांति तथा बीमारी से निजात के लिए मन्नत मांगती है, उनकी मुराद पूरी होने पर वे ईश्वर का नाम लेकर हाथों में नारियल थाम धधकते अंगारों से गुजरती है। उनके पैरों में अंगारे की जलन तो दूर कुछ अहसास तक नहीं होता है। महिलाओं के साथ पुरूष भी अपनी मन्नत उतारने यहां पहुंचते है।

ऐसी मान्यता है कि परिवार में कोई विपत्ति आने पर आदिवासी एक या पांच बार गल घूमने की मन्नत मांगते है जिसे पूरा करने के लिए हजारों आदिवासी इकट्ठा होते है।

एक लोहे के पाईप को गाडकर उसके दो छोर बनाए जाते है, जिसके एक छोर पर मन्नतधारी को बांधकर मन्नत के अनुसार एक या पांच बार घुमाया जाता है। तेजी से घुमाने के बाद भी वह गिरता नहीं है। गलचूल घूमने का सिलसिला देश शाम तक चलता रहा। मेले में खाने पीने की दुकाने भी खूब सजी। इस मेले में विशेष आकर्षण गुड की जलेबी होती है।

आदिवासी महिलाओं में श्रृंगार सामग्री के प्रति विशेष रूझान नजर आया। गर्मी में आदिवासियों ने कुल्फी, बर्फ के गोले का भी खूब लुत्फ उठाया। भगोरिया पर्व का आखिरी मेला होने से मेले में खासी मौज मस्ती हुई।

प्रशासन की ओर से जिला पंचायत के नवनियुक्त सीईओ रविन्द्र चौधरी, जनसम्पर्क विभाग के उपसंचालक श्रवण कुमार सिंह भदोरिया ने भी गलचूल मेले में पहुंचकर आयोजन की जानकारी प्राप्त की और आयोजन को निहारा।

बदनावर के समीपस्थ ग्राम ढोलाना में सांयकाल के समय रण मुत्तेश्वर महादेव मंदिर पर गल-गल महादेव चूल पर शृद्धालु अपनी मन्नतें पूरी करने पहुंचे। हाथों में कलश और श्रीफल लेकर अंगारों से गुजरे। इस दौरान बडी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

गल घुमे और चुल पर चले मन्नतधारी

समीपस्थ ग्राम सगवाल में ग्राम पंचायत के द्वारा आयोजित खांडेराव मेले गल-चुल देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। यहां वनवासी मन्नतधारी युवक करीब 100 फिट ऊंचे मचान पर चढ़कर गल घुमे वहीं धधकते हुए अंगारों की चुल पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपनी आस्था को प्रकट की।

मेले में प्रमुख रूप से झुले चकरी सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र थे वहीं यहां लगी विभिन्न प्रकार की दुकानो पर भी खरीदी के लिए लोग उमड़ पड़े। पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए।

नंगे पैर चुल में अग्नि पर चलकर मन्नत पूरी की

रंगों का पर्व होली नगर में उल्लास के साथ मनाया गया। जहां रात्रि में बुराई की प्रतिक होलिका का दहन किया गया। वहीं धुलेटी पर रंगो व गुलाल के साथ एक-दूसरे को रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाया। साथ ही महिला एवं पुरूषों द्वारा गैर निकालकर गमी होने वाले परिवार के यहां जाकर रंग लगाया।

होली पर ग्राम माकनी में लगने वाले दो दिवसीय मेले में आसपास क्षैत्र के ग्रामवासियों ने पहुंचकर खरीदारी की एवं मन्नत पूरी होने वाले महिला व पुरूषों द्वारा नंगे पैर चुल में अग्नि पर चलकर अपनी मन्नत पूरी की एवं गल देवता की पूजा अर्चना कर कई पुरूषों ने गल की परिक्रमा कर अपनी मनोकामना पूर्ण की।

होली पर्व पर खासकर बच्चो व युवाओं में उत्साह ज्यादा देखा गया। युवा पुरूषों द्वारा सुखे रंगों का प्रयोग कर होली पर्व मनाया। नागदा में नीम चौक, पंचायत चौक, बस स्टेण्ड के साथ ही ग्राम माकनी, मनासा, पलवाड़ा, खजुरिया, सनोली, रंगाराखेड़ी, जलोद, कड़ौदखुर्द में भी होलीका का दहन कर रंगो का पर्व मनाया गया।

ढोल ढमाकों के साथ होली दहन हुआ

नगर में होली दहन को लेकर पं. देवकृष्ण पाण्डेय ने पूर्व से ही घोषणा कर दी थी कि मंगलवार रात्रि में 3.20 के बाद होली दहन होगा। घोषणा के अनुरूप रात्रि ठीक 3.26 बजे ढोल ढमाकों के साथ होलीपुरा में होली माता का पूजन ग्राम पटेल मोटाजी आर्य से पं. देवकृष्ण पाण्डेय ने करवा के होली का दहन किया गया। नगर की कई पुरूष महिलाओं ने भी दहन के पश्चात पूजन कर श्री फल किसी ने चढाए तो किसी ने फोड़ कर प्रसाद वितरण किया।

होली पुरा के पश्चात पुराना थाना परिसर,सितला माता चौक व कुम्हार मोहल्ला में नदी किनारे पर होली दहन किया गया। इन चारों स्थान पर क्विंटलों से लकड़ी जलाई गईं। देर रात्रि में होली दहन के कारण युवा टीम खेत खलियान में पड़ी लकड़ी उठाकर होली में डाल दी। होली दहन स्थल पर ही सुखा रंग लगाना शुरू हो गया। गले मिलकर होली की शुभ कामना दी। सुबह होते ही बच्चें होली खेलते नजर आए।