गुर्दे की पथरी एक आम बीमारी है जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होती है। जरुरत से कम पानी पीने से भी गुर्दे की पथरी का निर्माण होता है। पेशाब में जलन, मूत्र विसर्जन के समय अक्सर पीड़ा का एहसास होना , चक्कर आना, भूख मिटना, पेशाब में बदबू, पेशाब में खून के अंश का पाया जाना इत्यादि गुर्दे की पथरी होने के कुछ आम लक्षण हैं। जिन महिलाएं को मासिक धर्म के दौरान पेट (उदर) के निचले भाग में अक्सर दर्द की शिकायत रहती हो उन्हें भी अपनी डाक्टरी जांच अवश्य करवानी चाहिए क्योंकि यह भी गुर्दे की पथरी होने का संकेत हो सकता है।
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गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए अक्सर लोग कोई ऐसा समाधान चाहते हैं जिसका कोई कुप्रभाव न हो। ऐसा ही एक उपाय है प्राकृतिक उपाय जो गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत ही कारगर साबित होता है साथ हीं साथ शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता।
गुर्दे की पथरी का इलाज-
पथरी के मरीज को दिन में कम से कम 5-6 लीटर पानी पीना चाहिये। पथरी होने पर पर्याप्त जल पीयें ताकि 2 से 2.5 लीटर मूत्र रोज बने। अधिक मात्रा में मूत्र बनने पर छोटी पथरी मूत्र के साथ निकल जाती है
आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।
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ऐसा भोजन करें जिनमें आक्जेलेट् की मात्रा अधिक हो; जैसे चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक, आदि के साथ
कोल्ड ड्रिंक्स से दूर रहें।
नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।
डॉक्टर पथरी के मरीजों को अंगूर और करेला आदि भी खाने की सलाह देते हैं।
मिश्री, सौंफ, धनिया को रात में पानी में भींगने के लिए छोड़ दीजिए। सुबह पानी को छानकर सौंफ और धनिया को पीस कर घोल बना लीजिए और फिर इस घोल को पी लीजिए। पथरी गल जाएगी।
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तुलसी के बीज को शक्कर व दूध के साथ लेने से पथरी गल जाती है।
जीरे को मिश्री या शहद के साथ लेने से पथरी गल कर पेशाब के साथ निकल जाती है.
बेल का शर्बत या बेल खाने से भी किडनी की पथरी गलती है।