अबू धाबी। संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी की एक अदालत ने मौत की सजा पाने वाले 10 भारतीय युवकों की सजा माफ करने के बदले ‘ब्लड मनी’ जमा करने की अनुमति दे दी है। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
उल्लेखनीय है कि भारत के पंजाब प्रांत के ये युवक झड़प के दौरान एक पाकिस्तानी युवक की हत्या के दोषी पाए गए थे। इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने शरीयत कानून के तहत इस आशय का आदेश दिया है।
दरअसल शरीयत कानून के तहत अगर हत्या के दोषी और पीड़ित परिवार के बीच सुलह हो जाए और पीड़ित पक्ष माफी देने पर राजी हो जाए तो फांसी की सजा माफ करने के लिए अदालत में अपील की जा सकती है। इस प्रावधान के तहत कई बार मुआवजा भी दिया जाता है जिसे ‘ब्लड मनी’ कहते हैं।
हालांकि यह अदालत पर निर्भर करता है कि वह माफी देती है या नहीं, लेकिन इन नौजवानों के जीवन की उम्मीद बढ़ गई है। इनकी सजा माफी के बदले ‘ब्लड मनी’ देने का काम एसपीएस आबेरॉय कर रहे हैं जो दुबई के एक उद्योगपति हैं।
वह ‘शरबत दा भला’ नाम के एक गैर सरकारी संगठन के अध्यक्ष हैं और इस तरह के मामलों में लोगों की मदद करते हैं। नीले और काले रंग की जेल की पोशाक में अदालत आए इन पंजाबी युवकों के चेहरों पर कुछ राहत साफ़ दिखाई दे रही थी, लेकिन उनकी नज़रें उन्हें बचाने के लिए आगे आए एसपीएस ओबेरॉय पर टिकी थीं।
एसपीएस ओबेरॉय ने कहा कि 26 अक्टूबर को जिन 10 युवाओं को मौत की सज़ा दी गई थी, उस मामले में हम समझौता करने में कामयाब हुए। झड़प में मारे गए पाकिस्तानी युवक मोहम्मद रियाज के पिता फरहान मोहम्मद युवकों को माफ करने के लिए अपने परिवार और कुछ दोस्तों के साथ पेशावर से अबू धाबी की अदालत पहुंचे।
उन्होंने समझौते के कागजात अदालत में जमा कराए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 अप्रैल तय की है। मोहम्मद रियाज़ कहते हैं कि मैंने अपने बेटे को खोया ये मेरी बदक़िस्मती थी। अगर मैं इन लड़कों को माफ़ नहीं करता तो क्या होता? मैं युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि वो ऐसे झगड़े ना करे, अपने काम से काम रखे और अपने देश और माता-पिता का नाम रोशन करें।