जयपुर। होटल राजमहल पैलेस मामले में पूर्व राजपरिवार को एडीजे कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की कार्रवाई को गलत ठहराया।
कोर्ट ने कहा कि जेडीए ने डिक्री की गलत विवेचना की है। जेडीए एक माह में तोड़े गए ढांचे का वापस निर्माण कराए और गेट पर लगे ताले तत्काल खोले।
राजमहल पर जेडीए की कार्रवाई को लेकर पूर्व राजपरिवार ने जेडीए अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर अपना पक्ष रखा था। याचिका में कहा गया था कि जेडीए ने कोर्ट की डिक्री की अनदेखी करते हुए कार्रवाई की है।
लिहाजा डिक्री की पालना कराते हुए होटल के गेट पर लगे ताले खुलवाएं जाए। इस पर न्यायालय ने बीते बुधवार को दोनों पक्षों दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला गुरुवार तक सुरक्षित रख लिया था।
लेकिन गुरुवार जज के अचानक अवकाश पर चले जाने से निर्णय सोमवार तक टाल दिया। सोमवार को गणेश चतुर्थी का अवकाश था। इसलिए अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।
जेडीए ने अदालत में तर्क दिया था कि जमीन को पहले ही आवप्त किया जा चुका था। इसका हक जेडीए के पास है, ऐसे में कार्रवाई गलत नहीं है।
वहीं पूर्व राजपरिवार ने डिक्री का हवाला देते हुए कहा था कि यह कभी अवाप्त ही नहीं हुई है। अदालत इस मामले में पहले निर्णय दे चुकी है। लिहाजा जेडीए की कार्रवाई पूरी तरह गलत है।