moon effects in kundalini
ग्रहों का मानव शरीर पर किसी न किसी रूप में प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के जीवन में दुख, प्रसन्नता सब यही तय करते हैं। ये प्रभाव प्रतिकूल या अनुकूल हो सकते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति आपको आपके पूरे जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में बता देती है।
व्यक्ति की कुंडली में हर ग्रह और उसके स्थान का अलग महत्व बताया गया है। कुंडली में चंद्र का भी अपना एक महत्व है। कुंडली के अलग-अलग भावों में चंद्र का परिणाम भी अलग-अलग होता है। चंद्रमा सातवें स्थान पर हो तो व्यक्ति सभ्य, धैर्यवान, नेता, विचारक, प्रवासी, जलयात्रा करने वाला होता है। हालांकि इन लोगों में थोड़ा अभिमान भी होता है, लेकिन इनमें गजब की फुर्ति देखी जाती है। इसी प्रकार यदि कुंडली के पांचवें भाव में चंद्र हो तो वह जातक कई प्रकार के शौक रखने वाला और कफ रोगी, नेत्र रोगी, अल्पायु, आसक्त, व्ययी होता है।
लग्न में चंद्रमा हो तो जातक बलवान, ऐश्वर्यशाली, सुखी, व्यवसायी, गायन-वाद्य प्रिय एवं स्थूल शरीर होता है। दूसरे भाव का चंद्र व्यक्ति को मधुरभाषी, सुंदर, परदेशवासी, सहनशील एवं शांति प्रिय बनाता है। इसी प्रकार तीसरे भाव में चंद्र हो तो पराक्रम से धन प्राप्ति, धार्मिक, यशस्वी, प्रसन्न और चौथे भाव का चंद्र व्यक्ति को दानी, मानी, सुखी, उदार, रोगरहित बनाता है। पांचवें भाव में चंद्र हो तो व्यक्ति शुद्ध बुद्धि, चंचल, सदाचारी, क्षमावान तथा शौकीन होता है।
आठवें भाव में चंद्रमा होने से विकारग्रस्त, कामी, व्यापार से लाभ वाला, वाचाल, स्वाभिमानी, बंधन से दुखी होने वाला एवं ईर्ष्यालु होता है। नौंवे भाव में चंद्रमा होने से जातक संतति, संपत्तिवान, धर्मात्मा, कार्यशील, प्रवास प्रिय, न्यायी, विद्वान एवं साहसी होता है।
वहीं, दसवें भाव में चंद्रमा होने से जातक कार्यकुशल, दयालु, निर्मल बुद्धि, व्यापारी, यशस्वी, संतोषी एवं लोकहितैषी होता है। ग्यारहवें भाव में चंद्रमा होने से चंचल बुद्धि, गुणी, संतति एवं संपत्ति से युक्त, यशस्वी, दीर्घायु, परदेशप्रिय एवं राज्यकार्य में दक्ष होता है। बारहवें भाव में चंद्रमा होने से नेत्र रोगी, कफ रोगी, क्रोधी, एकांत प्रिय, चिंतनशील, मृदुभाषी एवं अधिक व्यय करने वाला होता है।