हीरे, मोती और ज्वाहरात हर किसी की कमजोरी है। महिलाएं इन्हें आभुषणों में सजाकर पहनना पसंद करती है तो वहीं, पुरुष किसी पंडित और ज्योतिष के कहने पर अपने ग्रह अनुसार अंगुठी, माला और ब्रास्लेट इत्यादी पहनते है।
लोगों की इसी पसंद और मजबूरी को भापते हुए मार्केट में कुछ लोग इन दिनों नकली हीरे, मोती और जवाहरात बेचने लगे हैं। इसलिए यह जरुरी हो गया है कि हम इन सभी हीरों ओर ज्वाहरातों के बारें में पूरी जानकारी रखें, ताकि कभी भी किसी भी तरह की ठगी से बचा जा सकें। ऐसे में अगर आप भी रत्न खरीदने जा रहे हैं तो पहले असली रत्न की पहचान करना सीख लें। आइए सीखते है तमाम तरह के रत्नों की सहीं परख…
गोमेद : असली गोमेद में एयर बबल्स नहीं दिखते। इसके अलावा इसे चौबीस घंटे गोमूत्र में रखने पर गोमेद का रंग बदलने लगता है।
पन्ना : असली पन्ने पर कच्ची हल्दी लगाने से उसका रंग लाल रंग में बदल जाता है। इसके अलावा पानी से भरे कांच के गिलास में पन्ना रखने पर हरी किरणें दिखाई देती हैं।
लहसुनिया : असली लहसुनिया पत्थर पर भी रगड़ने पर टूटता नहीं है। इसके अलावा अंधेरे कमरे में रखने पर इसकी किरणें साफ दिखाई देती हैं।
मूंगा : असली मूंगा शीशे पर घिसने पर आवाज नहीं करता है। असली मूंगे पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड की बूंदे डालने पर झाग बनता है।
मोती : मोती को तर्जनी अंगुली से पकड़ने पर वह कुछ ही देर में गर्म हो जाता हैं। वहीं मोती को पानी में डालने पर उसमें किरणें दिखाई देती हैं।
माणिक : ऐसा माना जात है कि असली माणिक को कमल की कली रखेंगे तो वह थोड़ी देर में खिल उठता है। इसके अलावा कांच के बर्तन में रखने पर यह लाल रंग में दिखता है।
पुखराज : पुखराज को सफेद कपड़े में बांधकर धूप में रखने पर उसमें पीली छाया दिखती है। असली पुखराज को एक दिन दूध में रखने पर उसका रंग नहीं बदलेगा।
नीलम : नीलम को कांच के गिलास में पानी में रखने से पानी के ऊपर नीली किरण दिखती है। वहीं दूध में रखने पर इसका रंग नीला दिखाई देता है।
हीरा : हीरे पर मुंह से भाप छोड़ने पर उस पर भाप नहीं जमेगी। इसके अलावा गर्म दूध में डालने पर वह ठंडा हो जाता है।