पटना। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों से होता हुआ विंडो शॉपिंग का क्रेज अब बिहार की राजधानी पटना में भी पहंच गया है। विंडो शॉपिंग का क्रेज केवल युवाओं तक ही सीमित नही बल्कि हर उम्र के लोग इस पकेस्टिव सीजन में इसका लुत्फ लेते देख जा सकते है।…
राजधानी पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, भागलपुर समेत कई अन्य शहरो में खुले मॉल और अन्य हाइपर मार्केट में लोग फेस्टिव सीजन में खरीदारी करने के लिए पहुंच तो रहे हैं लेकिन उनकी जेब उत्पादों की कीमतों का वहन नहीं कर पा रही है जिससे वे विंडो शॉपिंग कर ही अपने मन को दिलासा दे रहे हैं।
हालांकि ऎसा नहीं है कि विंडो शॉपिंग केवल वैसे लोग ही कर रहे हैं जिनकी जेब पर यह भारी है बल्कि एक वर्ग ऎसा भी है जो मस्ती के लिए विंडो शॉपिंग करता है। धनतेरस और दीपावली से पूर्व आभूषण और इलेक्ट्रानिक दुकानों समेत पूरे बाजार में रौनक बढ़ गई है। हालांकि लोग धनतेरस के दिन होने वाली भीड़ से बचने और अपने बजट के अनुसार चीजों की खरीदारी करने से पूर्व उसे अच्छी तरह देख-परख लेना चाहते हैं।
राजधानी पटना के पीएनएम समेत अन्य मॉल्स में स्थित विभिन्न कंपनियों के शोरूम में इन दिनों ऎसा ही नजारा है। दुकानों और मॉल पर पहुंच रहे लोगों का कहना है कि त्योहार के दिन दुकानों पर होने वाली भीड़ के दौरान चीजों को परखना काफी मुश्किल होता है, इसलिए खरीदारी पूर्व उक्त सामान को जांच परख लेने में कोई हर्ज नहीं है। लोगों का कहना है कि खरीदारी पूर्व विंडो शापिंग में एक फायदा है यह भी है कि एक से अधिक दुकानों पर जाकर अच्छी मोल भाव बारगेंनिंग भी हो जाती है।
विंडो शापिंग के दौरान लोग कोई चीज पसंद आने पर छोटी राशि देकर उसे बुक कर देते हैं और त्योहार के दिन आकर शेष रकम देकर उसे अपने घर लेकर चले जाते हैं। इससे जहां एक ओर समय की बचत होती है वहीं त्योहार भीड़ से भी छुटकारा मिल जाता है।
युवाओं के लिए विंडो शापिंग मस्ती डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। महानगरों की तर्ज पर राजधानी की युवा पीढ़ी भी अपने दोस्तों के साथ मॉल और अन्य बाजार में पहुंच जमकर विंडो शापिंग कर रहे हैं। विंडो शापिंग के दौरान चीजें पसंद आ जाने पर युवा उसे लेने के लिए जमकर पैसे की खर्च कर रहे हैं।
दुकानदारों का एक वर्ग विंडों शॉपिंग को बुरा भी नहीं मानता क्योंकि उन्हें लगता है कि कम से कम ग्राहक उनके दुकान तक तो पहुंच रहे हैं। वहीं एक दूसरा वर्ग मानता है कि विंडों शापिंग के कारण उनके कीमती समय की बर्बादी होती है वहीं वास्तविक ग्राहक भी छूट जाते हैं।