वर्तमान में आतंकवाद को लेकर पूरे विश्व में चिन्ता का वातावरण बन रहा है, ऐसा होना भी चाहिए, क्योंकि आतंकवादी संगठन जिस प्रकार से अपने हिसाब से इस्लाम की व्याख्या करके वैश्विक धरती पर पैर पसार रहे हैं, उससे विश्व में रह रहे मुसलमानों के प्रति बहुत बड़े संदेह का प्रादुर्भाव हुआ है।
आतंकवादी भले ही इस्लाम के नाम पर दहशत फैला रहे हैं, लेकिन सही मायने में देखा जाए तो इस्लाम इस बात को कभी स्वीकार नहीं करता कि निर्दोषों की जान ली जाए। वास्तव में आतंकवाद कभी किसी भी धर्म के साथ नहीं जुडऩा चाहिए।
आतंकवाद धर्म हो भी नहीं सकता। आतंकवाद पूरी तरह से अधर्म का मार्ग है। विश्व के मुसलमानों ने जिस प्रकार से इस वैश्विक आतंकवाद का विरोध करते हुए प्रदर्शन किए हैं, उससे एक बात तो साफ हो गई है कि आईएसआईएस के आतंकवाद से विश्व का मुसलमान सरोकार नहीं रखता।
पूरे विश्व में जिस प्रकार से आतंकवाद पैर पसार रहा है, उसकी चिन्ता में विश्व के कई देश कार्यवाही करने का मन बना चुके हैं और कई देशों ने कार्यवाही शुरू भी कर दी है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आतंकवाद को लेकर एक नई बात कही है कि धर्म को आतंक से न जोड़ें। अभी तक कई लोग इस बात को प्रचारित करते रहे हैं कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता है।
आतंकवाद तो आतंकवाद होता है, लेकिन जिस प्रकार से इस्लामिक आतंकवाद ने पूरी दुनिया पर इस्लाम का साम्राज्य स्थापित करने के लिए कहर बरपाया है, उससे एक बात तो साफ तौर दिखाई देती है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जो लोग विश्व भर में कुख्यात हो चुके हैं, उनमें केवल इस्लाम जगत के पुरोधा ही शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन कि धर्म को आतंक से न जोड़ें, वास्तव में वर्तमान के आतंकी परिदृश्य को उजागर कर रही हैं।
आज पूरे विश्व में आतंक एक धर्म विशेष से जुड़ा हुआ ही दिखाई देता है। पेरिस, अंकारा, बेरुत, माली और रूस के विमान पर आतंकियों ने जो कहर बरपाया, वह पूरी दुनिया ने देखा कि किस प्रकार से आतंकवादी अल्लाह हो अकबर का नारा लगाते हुए दनादन गोली चलाते हुए निर्दोष लोगों का संहार कर रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के सभी देशों से आहवान करते हुए साफ तौर पर यह भी कहा कि हमें आतंकवाद के विरोध में कार्यवाही करने से पहले यह भी ध्यान में रखना होगा कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है वह भी कहीं न कहीं आतंकवाद को फलने फूलने में सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संकेत भारत में आतंकवाद फैला रहे पाकिस्तान की ओर ही था।
भारत में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों ने आतंकवाद फैलाकर हमेशा ही भारत को अशांति की राह पर ले जाने का प्रयास किया है। वास्तव में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ जब तक अभियान नहीं चलाया जाएगा, तब तक आतंकवाद को समाप्त किए जाने के सभी प्रयास असफल ही साबित होंगे। विश्व के सभी देशों को आतंक के विरोध में कार्यवाही करते समय ऐसे देशों के बारे में भी कार्यवाही किए जाने का प्रयास करना चाहिए।
आज विश्व में जो आतंक रूपी समस्या दिखाई दे रही है, उसमें कहीं न कहीं विश्व के वे देश भी शामिल हैं जो महाशक्ति के तौर पर स्थापित हैं। यह देश कभी नहीं चाहते कि अन्य देश भी उनके समकक्ष आकर खड़े हों। जो देश इनके समकक्ष आने का सामथ्र्य रखता है, उनके विरोध में यह देश राजनीतिक तरीके से उसको कमजोर करने की कवायद करते हैं।
हम जानते हैं कि पाकिस्तान को अमेरिका ने ही बढ़ाया, उसको हथियार तक उपलब्ध कराए। पाकिस्तान इन्हीं हथियारों की दम पर भारत में आतंक फैला रहा है। आज इस समस्या से केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अधिकतम देश इस्लामिक आतंकवाद से परेशान हैं, इतना ही नहीं बल्कि इस्लामिक देश भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं।
इस्लामिक देशों के बारे में अध्ययन करने से एक बात तो पता चलती है कि वहां भले ही धन संपदा अकूत मात्रा में हो, लेकिन शांति के नाम पर कुछ भी नहीं है। आतंक के नाम पर केवल अशांति का साम्राज्य ही स्थापित हो सकता है, लेकिन शांति के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शांति लाने का प्रयास करना है तो समस्त विश्व को भारत की तरफ ही देखना होगा।
भारतीय संस्कारों को ग्रहण करने वाला देश ही शांति की राह पर जा सकता है। हम जानते हैं कि विश्व के कई देश जो भारत की सांस्कृतिक अवधारणा से पोषित हैं, वहां शांति है और वे इन्हीं संस्कारों के साथ जीने में ही धन्यता का अनुभव करते हैं। वास्तव में ही भारतीय संस्कारों में ही वह सब समाहित है जो विश्व को शांति के साथ जीने का सलीका सिखा सकता है।
विश्व के मानचित्र पर आतंकवाद फैलाने के लिए चर्चित हो चुके आईएसआईएस संगठन के बारे में कार्यवाही किये जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस्लामिक स्टेट बनाए जाने के नाम पर चल रहीं इस संगठन की गतिविधियों से विश्व के मुस्लिम समुदाय को आशंका की दृष्टि से देखा जाने लगा है। वर्तमान में फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में उन वाहनों में सवार होने से यात्री डरने लगे हैं, जिनके चालक मुसलमान होते हैं।
यह बात भी सही है कि मजदूरी करके जीवन व्यतीत करने वाले मुसलमान इन आतंकी गतिविधियों का संचालन करने वाले दुर्दांत लोगों से सरोकार नहीं रखते, परंतु जिस प्रकार से आतंकवादी इस्लाम के विस्तार के लिए दहशत फैला रहे हैं, उससे विश्व के पूरे मुस्लिम समुदाय को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है।
भारत में जिस प्रकार से आतंक की घटनाएं होती हैं, उसमें किसी न किसी रूप में पाकिस्तान का ही हाथ दिखाई देता है। ऐसी घटनाओं को बढ़ावा तब और ज्यादा मिलता है जब भारत में निवास करने वाले जयचंद पाकिस्तान को उकसाते रहते हैं।
भारत के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान के समाचार चैनल के माध्यम से जिस प्रकार का वक्तव्य दिया, वह शर्मसार कर देने वाला ही कहा जाएगा, क्योंकि विदेश में जाने वाला हर नागरिक किसी जाति या दल का नहीं बल्कि भारत का नागरिक होता है। इसके साथ ही कुछ संवैधानिक दायरे भी होते हैं, जिसके तहत हर किसी को अपना व्यवहार करना होता है। कांग्रेस नेता अय्यर ने भारत के प्रधानमंत्री की भूमिका पर आरोप लगाकर राष्ट्र का तो अपमान किया ही है, साथ ही राष्ट्रघाती काम किया है।
विश्व के सभी देशों के नागरिक कम से कम राष्ट्रीय हितों के मुद्दे पर अपने देश की सरकार का भरपूर समर्थन करते हैं। यह उनका प्रथम कर्तव्य होता है। भारत में इस प्रकार की राजनीति के चलते राष्ट्रीय हित तिरोहित हो रहे हैं। आज आतंकवाद के मामले पर जिस प्रकार का वैश्विक चिंतन चल रहा है, भारत के नागरिकों को भी उसी तरह का चिंतन करना चाहिए, इसी में अपनी, देश की और विश्व की भलाई है।
सुरेश हिन्दुस्थानी
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)