कहा जाता है कि चिंता चिता है और इंसान को चिंता छोड़कर हमेशा खुश रहना चाहिए। अगर आप भी बहुत सोच विचार करते हैं या फिर चिंता करते हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है। सामाजिक और व्यक्तित्व मनोविज्ञान कम्पास में प्रकाशित लेख का तर्क है कि जो लोग बहुत चिन्ता करते हैं।
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वे स्कूल या काम पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं और समस्या को सुलझाने में अधिक सफल होते हैं। इस लेख कि लेखिका यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, रिवरसाइड में मनोविज्ञान की प्रोफेसर केट स्वीनी कहती हैं कि ‘मुझे लगता है कि लोगों में समझदारी की कमी है तभी तो चिंता करने वालों को बुरा महसूस कराया जाता है या फिर उन्हें कहा जाता है।
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कि चिंत करना छोड़ दो हालाँकि लेखिका बहुत ज्यादा चिंता करने वालों की वकालत नहीं करती लेकिन कभी कभार चिंता करना, किसी भी चीज को लेकर सोचना और चुपचाप बैठ कर रिलैक्स करने वाले लोगों की बजाय हर स्थिति के बारे में सोचने वाले इंसान कुछ गलत नहीं करते हैं।
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लेखिका कहती हैं कि ‘मेरा सीधा सा मैसेज यही है कि जब आप किसी बारे में चिंता करते हैं या फिर सोचते हैं तो फिर खुद के लिए एक मिनट निकालिये और यह जानने की कोशिश करिये की क्या वो ख्याल किसी समस्या का हल निकाल रहे हैं कई बार आपकी चिंता या सोच आपको किसी बुरी घटना से बचाती भी है और अगर ऐसा होता है।
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तो यह तो अच्छी ही बात है स्वीनी का मानना है कि कुछ लोग बहुत ज्यादा बेपरवाह होते हैं और असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर व्यवहार जैसी कुछ चीजों के बारे में सोचते ही नहीं है अगर आप ऐसी चीजों के बारे में भी नहीं सोचते या चिंता नहीं करते हैं आपको खुद से पूछना चाहिए कि आप अपने आपको क्यों ऐसे खतरों में डाल रहे हैं।
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