जयपुर। राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान खान आवंटन मामले को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्ष ने खान आवंटन सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। विपक्ष सदस्य वेल में पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी।
इस दौरान प्रश्नकाल समाप्त होने तक हंगामा होता रहा है। प्रश्नकाल के दौरान खान मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी कांग्रेस विधायक रमेश मीना की ओर से खान आवंटन में गड़बड़ी से संबंधित पूरक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। लेकिन उनके जवाब असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने बीच में टोका- टाकी शुरू कर दी।
उप नेता प्रतिपक्ष गोविंदसिंह डोटासर और अन्य विधायक भी शोर शराबा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष ने जब बोलने की अनुमति नहीं दी तो विपक्षी सदस्य नाराज होकर वेल में पहुंचे और विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष नारेबाजी करने लगे।
संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ और उप सरकारी सचेतक मदन राठौड समेत सत्तापक्ष के अन्य सदस्यों ने विपक्ष पर बेवजह हंगामा करने का अरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष आसन का अपमान कर रहा है। प्रश्नकाल समाप्त होने के साथ ही हंगामा थम गया।
खानमंत्री ने बताया कि एक नवम्बर, 2014 से 12 जनवरी, 2015 की अवधि में 740 खनन आवंटनों को निरस्त किया गया है, जिन्हें बहाल नहीं किया जाएगा। खनन आवंटन में ई-नीलामी प्रक्रिया को अपनाकर पूर्ण पारदर्शिता बरती जाएगी।
खान राज्य मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2011 में हिंदुस्तान जिंक को 3.87 मिलियन टन आवंटन में अनियमितता का मामला सामने आया था जिसे दबा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार यहीं से शुरू हुआ था। 30 अक्टूबर, 2014 को केन्द्र सरकार की ओर से दिशा-निर्देश आए थे, जिसमें खनन आवंटन में पारदर्शिता बरतने को कहा गया था। 16 नवम्बर 14 को एमएमडीआर एक्ट का ड्राफ्ट आया था और 12 जनवरी, 2015 से नया एमएमडीआर एक्ट लागू हुआ।
उन्होंने कहा कि इसमें खनन पट्टों की ई-नीलामी का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि एक नवम्बर 14 से 12 जनवरी 15 की लगभग ढाई महीने की अवधि में 740 खनन पट्टों के आवंटन में शिकायतें आई थीं। इसके लिए 05 अक्टूबर को 08 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने 16 अक्टूबर को रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इसके आधार पर 740 आवंटन रद्द किए गए। राज्य सरकार ने राज्यपाल के माध्यम से प्रकरण लोकायुक्त को भिजवाया है, जिसकी जांच चल रही है। इससे पहले विधायक रमेश के मूल प्रश्न के जवाब में खान राज्य मंत्री ने बताया कि शासन पत्र दिनांक 17 अक्टूबर 15 के क्रम में 01 नवम्बर 14 से 12 जनवरी 15 तक की अवधि में खनन पट्टा स्वीकृति हेतु जारी मंशा पत्र व पूर्वेक्षण अनुज्ञापत्र स्वीकृतियां जो निरस्त की गई है।
किसी भी मंशा पत्र या स्वीकृति को दुबारा बहाल नहीं किया गया है। राज्य सरकार द्वारा रिवीजनरी अथॉरिटी, भारत सरकार के समक्ष सभी रिवीजन का परिपूर्ण व सुसंगत जवाब प्रस्तुत किया गया है एवं राज्य सरकार की ओर से खान विभाग के उच्च अधिकारी द्वारा राज्य सरकार का पक्ष प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है।
खान राज्य मंत्री ने बताया कि रिवीजनरी अथॉरिटी, भारत सरकार के निर्णय का विधिक परीक्षण एटॉर्नी जनरल ऑफ इण्डिया से 07 जनवरी, 2017 को एवं महाधिवक्ता, राजस्थान से 09 जनवरी, 2017 को कराया गया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा मंशा पत्र बहाल नहीं करने का निर्णय लिया गया।