वाशिंगटन। हाल ही में सामने आए एक अध्ययन में कहा गया है कि पृथ्वी पर मानव प्रजाति की उत्पत्ति महज एक संयोग थी और आम धारणा के विपरीत संभवत: इसका जलवायु परिवर्तन से कोई संबंध नहीं है।
अनेक वैज्ञानिकों का तर्क है कि अफ्रीका में पाए गए 28 से 25 लाख वर्ष पुराने जीवाश्म बताते हैं कि वहां अचानक अनेक प्रजातियों के जीवों की उत्पत्ति हुई, जिसमें मानव प्रजाति भी शामिल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में अचानक नई प्रजातियों के जीवों की उत्पत्ति जलवायु परिवर्तन जैसे किसी दीर्घकालिक वृहद परिघटना का परिणाम हो सकता है।
हालांकि हाल ही में सामने आए अध्ययन में कहा गया है कि इसकी पूरी संभावना है कि नई प्रजातियों के जीवों की उत्पत्ति महज संयोग हो। यह अध्ययन शोधपत्रिका ‘पेलियोबायोलॉजी’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुई है।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एंड्र बार का कहना है कि 25 लाख साल पहले जलवायु परिवर्तन से सीधे प्रभावित होकर मानव प्रजाति की उत्पत्ति का विचार जीवाश्म विज्ञान के इतिहास में कहीं गहराई में छिपा हुआ है।
बार कहते हैं कि मेरा अध्ययन बताता है कि लाखों साल पहले पृथ्वी पर पैदा हुए उस ‘पल्स’ का कारण प्रजातिकरण की दर में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव के कारण आया। मानव प्रजाति का उस समय और उस जगह उदभव क्यों हुआ, इसका सही-सही पता लगाने के लिए हमें अपने अध्ययन को और विस्तार देना होगा।
आम धारणा है कि जब पृथ्वी पर कोई बड़ा वायुमंडलीय परिवर्तन होता है तो नई प्रजातियों की उत्पत्ति होती है।
हालांकि यह पूरी प्रक्रिया ‘पल्स’ की ठीक-ठीक परिभाषित नहीं करती, इसीलिए विशेषज्ञों में इस बात को लेकर मतभिन्नता है कि वायुमंडलीय परिवर्तनों के कौन से युग्म को प्रजाति की उत्पत्ति का कारक माना जाए और किस युग्म को अप्रत्याशित परिवर्तन के तौर पर देखा जाए।
इस अध्ययन ने वैज्ञानिकों को इस बात पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है कि मानव प्रजाति पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान और परिष्कृत क्यों हुई।