लंदन। भारतीय मीडिया में कर्ज लेकर घी पीने जैसी इन दिनों आ रही उद्योगपति विजय माल्या की खबरों को लेकर आखिरकार माल्या ने अपनी भड़ास ट्वीट कर मीडिया पर निकाली है और अपनी ओर से तल्ख शब्दों में लिखा है कि मीडिया मेरे शिकार में लगा है, लेकिन मैं मीडिया से कोई बात नहीं करूंगा, वह मुझे बेवजह परेशान करने की कोशिश न करें। माल्या ने यह ट्वीट रविवार को किया है।
इसके पहले भी वे इस संबंध में अपनी ओर से ट्वीट के जरिए सफाई दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे कोई भगोड़े नहीं हैं। एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय व्यापारी हैं। इस कारण अपने व्यापार के सिलसिले में उन्हें समय-समय पर कई देशों में जाना होता है। मैं भारत से भागा नहीं और ना ही मैं कोई भगोड़ा हूं।
वहीं रवीवार को किए गए अपने ट्वीट से उन्होंने मीडिया को आड़े हाथों लिया है, माल्या इसमें यह भी लिखते हैं कि मीडिया मेरे शिकार में लगा हुआ है। मुझे ऐसे में दुख इस बात का है कि वह सही स्थान पर मुझे नहीं ढूंढ रही है।
बतादें कि माल्या की किंगफिशर कंपनी पर बैंकों का 9 हजार करोड़ से अधिक रुपए का कर्ज बकाया है। जिसे प्राप्त करने के लिए बैंकों ने अपनी ओर से ऐड़ीचोटी का जोर लगा दिया है। इस संबंध में बैंकों की ओर से कर्जे की वसूली तक सुप्रीम कोर्ट से उनके देश छोडऩे पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।
वहीं इसे लेकर लिकर बैरन और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या से कर्ज वसूली की उम्मीद लगाए बैंकों के लिए अच्छी खबर यह हो सकती है कि अभी भी माल्या के पास तकरीबन 5 हजार 500 करोड़ रुपए की बिना विवाद की संपत्ति मौजूद है।
बैंक इन संपत्तियों के जरिए अपने कर्जे की वसूली कर सकते हैं। इसके अलावा अभी माल्या की विदेश में मौजूद प्रॉपर्टीज और असेट्स के बारे में यह अंदाजा नहीं लगाया गया है कि उन सभी संपत्तियों की कीमत कितनी होगी।
उधर संसद के भीतर और बाहर सरकार की फजीहत इस मामले को लेकर लगातार जारी है। जिसको देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक कर्नल सिंह खुद शनिवार को मुंबई पहुंच गए हैं। गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय की मुंबई शाखा में माल्या संबंध में जांच की जा रही है, जहां से श्री माल्या को 18 मार्च तक पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
ईडी के मुंबई ब्रांच में किंगफिशर एयरलाइंस के मुख्य वित्त अधिकारी ए रघुनाथन सहित तमाम अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है। वहीं किंगफिशर एयरलाइंस को मिले कर्ज की रकम विदेशी कंपनियों में स्थानांतरित किए जाने की आशंका को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय ब्रिटेन, सिंगापुर और अन्य देशों को अनुरोध पत्र (एलआर) जारी करने पर विचार कर रहा है।