झांसी। मैं पढ़ना चाहती हूं, और मां मुझे पढ़ने नहीं देती है क्योंकि मैं दुर्भाग्य से लड़की हूं। आए दिन मुझे और मेरी छोटी बहन को टाॅर्चर करती है।
शनिवार को तो हद ही पार कर दी। छोटी बहन को पीटने से रोकने पर पहले गन्ने से पीटा और फिर घर से निकाल दिया। इसीलिए मैं घर छोड़कर भाग आई। मर जाऊंगी लेकिन अब घर नहीं जाऊंगी। यह दर्द भरी कहानी काल्पनिक नहीं बल्कि उस नाबलिग लड़की की है। जो आरपीएफ थाने में बैठी है।
आरपीएफ थाने में बैठी इस नाबलिग लड़की से जब पुलिस से जानकारी ली। तो उसने जो कहानी बताई उसे सुनकर शायद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या आज के इस बदलते दौर में लड़की होना गुनाह है।
पुलिस के अनुसार लगभग 13 वर्षीय लड़की ने अपना नाम ममता पुत्री नर्वदा सिंह निवासी महाराजगंज बताया। ममता ने आंखों में आंसू लिए रोते बिलखते हुए कहा कि वह मर जाएगी लेकिन अपने घर वापस नहीं जाएगी। मैं अपने माता पिता के लिये मर गयी हूं।
ममता ने बताया कि वह दो बहनें और उसका एक भाई। पिता ट्रक चालक है। वह कक्षा सात में पढ़ती है। वह पढ़ना चाहती है और उसकी मां उसे पढ़ने नहीं देती है। इस कारण मां आए दिन उसके साथ मारपीट करती है।
गत दिवस उसकी छोटी गांव में गन्ने के खेत पर गई हुई थी। इसकी जानकारी जब उसकी मां को हुई तो उसने उसकी गन्ने से पिटाई कर दी। जिसे देख उसने मां को छोटी बहन को पीटने से मना किया। इस पर मां ने गाली गलौज करते हुए उसकी भी गन्ने से पिटाई कर दी। इसके बाद घर से निकाल दिया।
वह घर से दो सौ रूपए लेकर पहले लखनऊ आई है और फिर लखनऊ से ट्रेन में बैठकर मुम्बई अपने फूफा के पास जा रही थी। लेकिन आरपीएफ ने शक होने पर उसे पकड़ लिया।
कहानी सुनने के बाद जब पुलिस ने ममता से परिजनों के मोबाइल नम्बर मांगे तो उसने देने से इन्कार करते हुए कहा कि वह घर नहीं जाएगी। मरना सभी को है, ऐसी जिन्दगी से क्या लाभ जिसमें माता-पिता का प्यार न हो। इसलिए वह कहीं भी चली जाए लेकिन घर नहीं जाएगी।