नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के लिए जुलाई की पहली तारीख ऐतिहासिक साबित होगी। इस दिन वायुसेना स्वदेशी तेजस की स्क्वाड्रन बनाने जा रही है।
वायुसेना के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब देश में निर्मित किसी युद्धक विमान की स्क्वाड्रन का सपना साकार होने जा रहा है। इस स्क्वाड्रन में अभी सिर्फ दो ही विमान होंगे।
वायुसेना के अनुसार अभी यह स्क्वाड्रन दो विमानों से शुरू होगी और मार्च 2017 तक छह और तेजस मिलने की संभावना है।
तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है। विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है, जिसका प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा है।
स्क्वाड्रन में शामिल होने वाले पहले 20 विमान आरंभिक संचालनात्मक मंजूरी के साथ शामिल किए जाएंगे और इसके बाद शामिल होने वाले बीस विमानों अत्याधुनिक हथियारों तथा राडार प्रणाली से लैस होंगे।
वायुसेना में कुल 120 तेजस विमान शामिल किए जाने हैं, जिनमें पहले 40 विमानों को छोड़कर बाकी मार्क-1 श्रेणी के अत्याधुनिक विमान होंगे, जो हवा में ईधन भरने में सक्षम होंगे और मिग विमानों की जगह लेंगे।
शुरुआती दौर में तेजस में करीब 40 कमियां थी, जिन्हें अब दूर कर लिया गया है। इन विमानों में अब सिर्फ 18 मामले हैं, जिनका समाधान होना अभी बाकी है, जो ज्यादातर रखरखाव से संबंधित हैं।