लंदन। श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के ग्रुप-बी के मैच में गुरुवार को सभी को हैरान करते हुए मौजूदा विजेता भारत को हार के लिए मजबूर कर दिया। श्रीलंका ने अपने दूसरे मैच में भारत को सात विकेट से मात दी।
भारत ने सलामी बल्लेबाज शिखर धवन (125) की बेहतरीन शतकीय पारी और रोहित शर्मा (78) तथा महेंद्र सिंह धौनी (63) के अर्धशतकों की बदौलत श्रीलंका के सामने 322 रनों का लक्ष्य रखा था जिसे उसने अपने बल्लेबाजों के संयुक्त प्रदर्शन के दम पर आठ गेंद शेष रहते हुए तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया।
यह श्रीलंका द्वारा एकदिवसीय क्रिकेट में हासिल किया गया सबसे बड़ा लक्ष्य है। साथ ही इस मैदान पर भी हासिल किया गया सबसे बड़ा लक्ष्य है। इससे पहले भारत ने 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ 317 रनों का लक्ष्य इसी मैदान पर हासिल किया था।
इस जीत के बाद श्रीलंका ने अपने आप को सेमीफाइनल की दौड़ में बनाए रखा है। श्रीलंका को अगर सेमीफाइनल में पहुंचना है तो उसे अब पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले अगले मैच में हर हाल में जीत हासिल करनी होगी।
वहीं सेमीफाइनल में जाने के लिए भारत को भी अपने अंतिम ग्रुप मैच में रविवार को दक्षिण अफ्रीका को हराना होगा। भारत की कोशिश इस मैच को जीत कर सेमीफाइनल में प्रवेश करने की थी लेकिन श्रीलंका ने उसके इस सपने को रविवार तक के लिए टाल दिया।
श्रीलंका की जीत में अहम भूमिका दानुष्का गुणाथिलाका (76) और मैन ऑफ द मैच कुशल मेंडिस (89) के बीच दूसरे विकेट के लिए 159 रनों की साझेदारी की रही।
सही मायने में इस जोड़ी ने भारत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इस जोड़ी के आगे भारत का मजूबत गेंदबाजी आक्रमण बेअसर साबित हुआ।
यह साझेदारी तब आई जब श्रीलंका ने अपना पहला विकेट 11 रनों के कुल स्कोर पर ही खो दिया था। भुवनेश्वर कुमार ने निरोशन डिकवेला को आउट कर भारत को पहली सफलता दिलाई।
लेकिन इसके बाद दनुष्का और मेंडिस ने मैच श्रीलंका की तरफ मोड़ दिया। दोनों बल्लेबाजों ने बिना किसी जल्दबाजी के पहले पारी को बनाया और फिर अपने-अपने शॉट खेले। भारत के लिए यह जोड़ी खतरनाक साबित हो रही थी।
इसी बीच रन लेने की जल्दबाजी में दानुष्का रन आउट हो गए। दानुष्का 170 के कुल योग पर पवेलियन लौटे। उन्होंने 72 गेंदों की पारी में सात चौके और दो छक्के लगाए।
भारत के लिए मेंडिस खतरा बने थे। भुवनेश्वर ने विकेटों पर सीधा थ्रो मार कर मेंडिस की पारी का अंत किया। मेंडिस 196 रनों के कुल स्कोर पर आउट हुए। उन्होंने अपनी पारी में 93 गेंदों का सामना किया और 11 चौके तथा एक छक्का लगाया।
यहां से भारत की मैच में वापसी की उम्मीदें जागी थीं लेकिन, कुशल परेरा (47 रिटायर्ड हर्ट) और कप्तान एंजेलो मैथ्यूज (नाबाद 52) ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 75 रन जोड़े ही थे कि परेरा चोटिल हो कर बाहर चले गए।
मैथ्यूज को परेरा के स्थान पर असेला गुणारत्ने (नाबाद 34) का साथ मिला। उन्होंने कप्तान के साथ मिलकर 5.4 ओवरों में नौ की औसत से 51 रन जोड़ते हुए टीम को जरूरी जीत दिलाई। मैथ्यूज ने 45 गेंदों की पारी में छह चौके लगाए।
इससे पहले, भारत को रोहित और धवन की सलामी जोड़ी ने शानदार शुरुआत दी जिसका फायदा अंत में धौनी ने उठाया और तेजी से रन बटोरे।
रोहित और धवन की जोड़ी ने श्रीलंकाई गेंदबाजों को शुरू से विकेट के लिए तरसा दिया था। इस जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 138 रनों की साझेदारी की। आखिरकार लसिथ मलिंगा ने 25वें ओवर की पांचवीं गेंद पर रोहित को थिसरा परेरा के हाथों कैच करा अपनी टीम को पहली सफलता दिलाई।
रोहित ने 79 गेंदों की अपनी पारी में छह चौके और तीन छक्के मारे। टीम के खाते में एक रन ही जुड़ा था कि विराट कोहली को नुवान प्रदीप ने खाता खोले बिना पवेलियन भेजा। युवराज सिंह ने स्वभाव के विपरीत 18 गेंदों में सात रन बनाए। उन्हें गुणारत्ने ने अपना शिकार बनाया।
धौनी ने इसके बाद धवन का साथ दिया और चौथे विकेट के लिए 82 रन जोड़ते हुए टीम का स्कोर 261 तक पहुंचाया। इसी स्कोर पर धवन, मलिंगा की गेंद पर आउट हो गए। 128 गेंदों में 15 चौके और एक छक्का मारने वाले धवन का यह चैम्पियंस ट्रॉफी में सर्वोच्च स्कोर है।
इसके अलावा वह चैम्पियंस ट्रॉफी में सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाजों की सूची में आ गए हैं। यह उनका इस टूर्नामेंट में तीसरा शतक है। उनके अलावा उनके अलावा भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली, वेस्टइंडीज के क्रिस गेल और दक्षिण अफ्रीका के हर्षल गिब्स के नाम तीन-तीन शतक हैं।
धवन के बाद भारत का अगला विकेट हार्दिक पांड्या (9) के रूप में गिरा। धौनी ने 52 गेंदों का सामना करते हुए दो छक्के और सात चौके मारे। केदार जाधव ने 13 गेंदों में तीन चौके तथा एक छक्के की मदद से 25 रनों की तेज तर्रार पारी खेली।
श्रीलंका की तरफ से मलिंगा ने दो विकेट लिए। सुरंगा लकमल, प्रदीप, परेरा, गुणरात्ने को एक-एक सफलता मिली।