नई दिल्ली। भारत विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंच चुका है और टीम के 15 खिलाडियों में से तीन खिलाड़ी ऎसे हैं जिन्हें अब तक कोई मैच खेलने का मौका नहीं मिल पाया है। इनकी स्थिति देखकर यही लगता है कि कहीं ये खिलाड़ी 1983 विश्वकप टीम के सदस्य सुनील वॉल्सन जैसे न रह जाएं।
भारत ने 1983 में कपिल देव की अगुवाई में विश्वकप जीता था और उस समय की 14 सदस्यीय टीम में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज वॉल्सन ऎसे एकमात्र खिलाड़ी थे जिन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिल पाया था।
वॉल्सन ड्रेसिंग रूम से भारत को विश्व विजेता बनता देख रहे थे। वह एक भी मैच तो नहीं खेल पाए लेकिन उन्हें विश्व चैंपियन टीम का सदस्य होने का गौरव मिल गया। मौजूदा टीम में तीन खिलाड़ी ऑलराउंडर स्टुअर्ट बिन्नी, लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल और बल्लेबाज अंबाटी रायडू को विश्वकप में भारत के सात मैचों में खेलने का कोई मौका नहीं मिल पाया है।
भारतीय टीम बांग्लादेश को पराजित कर सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है अेर सेमीफाइनल में भी इसी विजेता टीम के ही बरकरार रहने की संभावना है यानि इन तीनों खिलाडियों को सेमीफाइनल में भी मौका नहीं मिल पाएगा। यदि भारत फाइनल में पहुंचता है तो भी विजेता टीम ही खिताबी मुक ाबले में बरकरार रहेगी।
इस सूरत में ये तीनों खिलाड़ी विश्वकप में कोई मैच खेले बिना स्वदेश लौट आएंगे। वर्ष 1983 की विश्वकप विजेता टीम में कपिल देव, यशपाल शर्मा, मदनलाल, संदीप पाटिल, मोहिंदर अमरनाथ, कृष्णामाचारी श्रीकांत, बलविदंर संधू, सैयद किरमानी और रोजर बिन्नी ने आठ आठ मैच खेले थे जबकि सुनील गावस्कार ने छह, रवि शास्त्री ने पांच, कीर्ति आजाद ने तीन और दिलीप वेंगसरकर ने दो मैच खेले थे।
आंध्रप्रदेश के बायें हाथ के तेज गेंदबाज वॉल्सन विश्वकप टीम का हिस्सा तो थे लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने को नहीं मिल पाया और विश्वकप के बाद उन्हें दोबारा कभी भारत का प्रतिनिधित्व क रने का भी मौका नहीं मिला। यह बड़ी हैरानी की बात है कि विश्वकप विजेता टीम का सदस्य कभी देश के लिए एक भी टेस्ट या एक भी वनडे नहीं खेल पाया।