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विचार और हथियार की लड़ाई में हमेंशा विचार जीता है : राज मोहन गांधी - Sabguru News
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विचार और हथियार की लड़ाई में हमेंशा विचार जीता है : राज मोहन गांधी

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विचार और हथियार की लड़ाई में हमेंशा विचार जीता है : राज मोहन गांधी
idea is always to win the battle of ideas and arms : Rajmohan Gandhi
idea is always to win the battle of ideas and arms : Rajmohan Gandhi
idea is always to win the battle of ideas and arms : Rajmohan Gandhi

नवसारी। देश को अंग्रेजों से तो आजादी मिली, लेकिन आज भी हमें बोलने, लिखने व विचार प्रकट करने की आजादी नहीं है। खुल कर आप अपनी बात नहीं रख सकते। आजादी हर इंसान का अधिकार है। जो ईश्वर, कुदरत या ईंसानीयत की देन कहा जा सकता है। दुनिया में हमेंशा हथियार व विचार के बीच संघर्ष रहा है। लेकिन हमेंशा विचारों की जीत हुई है। गांधी की हत्या के बाद उसके विचार ही जीते है।

यह शब्द महात्मा गांधीजी के प्रपौत्र राज मोहन गांधी ने शनिवार नवसारी के एैतिहासिक दांडी नमक सत्याग्रह स्मारक में असहिष्णुता पर आयोजीत विचार मंथन में कहे। इस मौके पर समग्र देश से आए साहित्यकारों, लेखकों, फिल्मकारों, कलाकारों व एक्टीवीस्टों ने असहिष्णुता को सहिष्णुता में बदलने हेतू दांडी दरिया किनारे से पदयात्रा की और सभा में अपने विचार रखे।

30 जनवरी 1948 को भारत को आजादी दिलवाने वाले महात्मा गांधी की नथ्थुराम गोडसे ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। देश में अहिंसा के सामने हिंसा की विचारधारा रखनेवाला जुथ वर्षो से कार्यरत है। कुछ वर्षो पूर्व पुणे के डॉ. नरेन्द्र डाभोलकर, कोल्हापुर के गोविंद पानसरे और बैंगलुरू के एम. एम. कुलबर्गी की उसी एक ही विचारधारा रखनेवालों ने हत्या कर दी थी।

इन तीनों एक्टीवीस्टों व महात्मा गांधी की हत्या में एक ही विचारधारा ने काम किया एसे अनुमान के साथ देश के प्रबुध्ध विचारक शनिवार गांधी निर्वाण दिन को देश में सहिष्णुता की अलख जगाने नवसारी के एैतिहासिक दांडी में जुटे। जिन्होंने दांडी दरिया किनारे से गांधी स्मारक के प्रार्थना मंदिर तक सहिष्णुता पदयात्रा निकाली और प्रार्थना स्थली में सभा में परिवर्तित होकर असहिष्णुता पर विचार मंथन किया।

जिसके फल स्वरुप देश में गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्णाटक चार विभागों में बीन राजकिय व बीन संस्थागत तरीके से देश के साहित्यकार, लेखक, कलाकार, एक्टीवीस्ट सहिष्णुता फैलाने का काम करेंगे। साथ ही डॉ. डाभोलकर, पानसरे व कुलबर्गी की हत्या के मुय आरोपियों को सजा दिलवाने सरकारों से दरवास्त करने का निर्णय भी लिया गया।

इस मौके पर गुजरात के साहित्यकार व एक्टीवीस्ट गणेश देवी, साहित्यकार डॉ. अनील जोषी, पंजाब के साहित्यकार अरजीतसिंह, फिल्मकार आनंद पटवर्धन, डॉ. डाभोलकर के पुत्र अमीत डाभोलकर, गोविंद पानसरे की पुत्रवधु मेघा पानसरे और एम. एम. कुलबर्गी के पुत्र विजय कुलबर्गी खास उपस्थित रहे।

पूरे देश से आए सहिष्णुता के पेरवीदार गांधी निर्वाण दिन पर नवसारी के एैतिहासिक दांडी नमक सत्याग्रह स्मारक पर असहिष्णुता के बदले सहिष्णुता को फैलाने के उद्देश्य से गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, केराला, पंजाब, हरियाणा, आसाम, पश्चिम बंगाल, मेघालय आदि राज्यों से करीबन 600 लोग उपस्थित रहे। जिसमें साहित्यकार, लेखक, कलाकार, फिल्मकार और एक्टीवीस्ट जुड़े थे।