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if center refuses the suggetion than brahmakumari and uit aburoad may stuck by esz
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बात नहीं बनी तो ब्रह्माकुमारी, माॅर्डन और यूआईटी भी ईको सेंसेटिव जोन में

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बात नहीं बनी तो ब्रह्माकुमारी, माॅर्डन और यूआईटी भी ईको सेंसेटिव जोन में
mount abu senctuary
mount abu senctuary

सबगुरु न्यूज-सिरोही/आबूरोड। ईको सेंसेटिव जोन के वन अधिकारियों के बाद शुक्रवार को माउण्ट आबू वन सेंचुरी के बफर जोन में आने वाले क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों ने भी वन मंत्री व एपीसी कंजरवेटर फाॅरेस्ट ईको सेंसेटिव से बातचीत की।

 

यदि यहां भी बात नहीं बनी  और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय पूर्व की तरह ही कम से कम एक किलोमीटर की परिधि में ही बफर जोन रखते हुए ईको सेंसेटिव जोन के प्रावधान लागू करती है तो तलहटी पर स्थित ब्रहमकुमारी व माॅर्डन इंसुलेटर के समेत काफी हिस्सा और यहां तक कि यूआईटी का कार्यालय भी इसकी जद में आ जाएगा।
-फिर मंगवाया जाएगा बफर जोन का प्रस्ताव
वन मंत्री के साथ हुई बैठक में शुक्रवार को रेवदर एमएलए जगसीराम कोली, यूआईटी चेयरमेन सुरेश कोठारी आदि शामिल हुए। कोठारी ने बताया कि बैठक में बफर जोन को एक किलोमीटर से कम करने की बात हुई। उन्होंने बताया कि विधायक ने इसे जीरो किलोमीटर करने का अनुरोध भी किया है।

इस पर एपीसी कंजरवेटर फाॅरेस्ट ईको सेंसेटिव जीवी रेड्डी ने इस बारे में फिर से जनसुनवाई करवाकर जितना संभावित होगा उतनी राहत देने की आवश्वासन दिया है।

इस बैठक में वन मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर ने माउण्ट आबू वन विभाग की ओर से माउण्ट आबू सेंचुरी की परिधि के एक किलोमीटर के क्षेत्र में पडने वाले आबूरोड, रेवदर, सिरोही और पिण्डवाडा तहसील के गांवों को बफर जोन में शामिल करने का जो प्रस्ताव भेजा है उसे फिर से केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंगवाने का आश्वासन दिया है।
-तलहटी को जीरो, 200 मीटर या नहर तक रखने का भी प्रस्ताव
सुरेश कोठारी ने बताया कि तलहटी क्षेत्र में काफी बसावट हो चुकी है। ऐसे में तलहटी क्षेत्र में बफर जोन को जीरो किलोमीटर या 200 मीटर रखने का भी प्रस्ताव दिया है। उन्होंने बताया कि बात नहीं बनने पर तलहटी से जा रही बनास नहर को सीमा बनाने का भी वैकल्पिक प्रस्ताव दिया जाएगा।

ताकि इस क्षेत्र में कम से कम इलाका ईको सेंसेटिव जोन के कायदों की मार झेले। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में 46 गांव पड रहे हैं। विधायक ने सभी में जीरो किलोमीटर बफर जोन रखने का अनुरोध किया है। इस पर भी बात नहीं बनी तो एक किलोमीटर से भी कम क्षेत्र को इसमें रखने की भी अनुरोध किया है ताकि कम से कम आबादी प्रभावित होवे।

जैसा कि 31 मार्च 2016 को तत्कालीन केन्द्रीय वन एव पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने संसद में सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए एक किलोमीटर क्षेत्र को बफर जोन करने का बयान दिया था, उसके अक्षरशः पालना की जाती है तो ब्रहमाकुमारी और माॅर्डन इंसूलेटर के कई इलाकों के साथ यूआईटी आबूरोड कार्यालय और कई होटलें भी ईको सेंसेटिव जोन की मारी झेलेंगी।