नई दिल्ली। कांग्रेस ने गोवा और मणिपुर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद उसे सरकार बनाने का मौका नहीं दिए जाने को असंवैधानिक करार देते हुए मंगलवार को एक बार फिर इन राज्यों में भाजपा द्वारा राज्यपाल का इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस के अनुसार राज्यपाल दोनों राज्य में कांग्रेस के लिए सरकार बनाने के लिए अलग-अलग मापदंड अपना रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता मनोहर पर्रिकर को गोवा में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपकर उन्हें ‘दो दिन का सुल्तान’बना दिया है।
उन्होंने कहा कि गोवा विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत के लिए पूरे विधायक नहीं हैं| इसलिए पर्रिकर सदन में बहुमत हासिल नहीं कर पाएंगे।
सिंघवी ने कहा कि गोवा के राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने सबसे बड़े दल को आमंत्रित करने की बजाए भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता दिया और उच्चतम न्यायालय ने उनके इस आदेश के महत्व को आज आधा कर दिया।
न्यायालय ने पर्रिकर को 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने को कहा है। उनका कहना था कि किसी भी दल के नेता को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल की संतुष्टि आवश्यक है लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि गोवा में राज्यपाल किस आधार पर संतुष्ट हुईं।
उन्होंने बताया कि राज्यपाल को अनुच्छेद 33 के तहत संविधान संतोष करना पड़ता है लेकिन मणिपुर की राज्यपाल ने जनता द्वारा चुनी गई सबसे बड़ी पार्टी से एक बार भी पूछा तक नहीं। उपराज्यपाल ने दोपहर में ही भाजपा की सरकार बनाने की घोषणा कर दी गई। जबकि भाजपा ने अपने नेता का चुनाव शाम को किया।
वहीं गोवा में ठीक इसके उलट हुआ। गोवा के उपराज्यपाल ने कांग्रेस के नेता न चुने जाने के ऐवज में सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि उपराज्यपालों का दोनों राज्यों में आखिर ये दोहरा मापदंड क्यों?
उन्होंने कहा कांग्रेस का सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरा भरोसा है| हो सकता है कि दो दिन बाद भी पर्रिकर मुख्यमंत्री बने रहेंगे या ये भी हो सकता है कि फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस बहुमत साबित कर दे। इसके बाद पर्ऱिकर को इस्तीफा देना पड़ सकता है।