सिरोही। सुराज संकल्प यात्रा के दौरान प्रदेश की वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिस सुराज की बात कर रही थी वो ऐसा है जैसा सिरोही में रविवार रात को देखने को मिला है तो हर कोई ऐसे सुराज से तौबा ही करेगा। वसुंधरा राजे के सुराज संकल्प को उनके अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने रविवार रात को तार-तार कर दिया।
प्रशासनिक नकारेपन की ऐसी बानगी सिरोही में पिछले एक दशक में शायद ही देखने को मिली हो और वो भी समाज के सबसे पिछड़ी पिछाड़ी के आदिवासियों के साथ देखने को मिली। रविवार को राणोरा के पास रात करीब साढ़े नौ बजे टाटा मेजिक दुर्घटनाग्रस्त हुआ। रात एक बजे तक पुलिस और प्रशासन का एक भी अधिकारी ट्रोमा सेंटर में मौजूद नहीं था।
एक कांस्टेबल के भरोसे घायलों को छोड़ दिया गया था। बड़ी-बड़ी दुर्घटनाओं से रूबरू होने वाले आबूरोड के लोगों का भी रविवार रात को यही कहना था कि ऐसा जंगलराज उन्होंने पहले कभी किसी हादसे में नही देखी जिस तरह की अनदेखी और असंवेदनशीलता जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने रविवार रात को गरीब आदिवासियों के मामले में दिखाई थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेपाल में पीडितो की सहायता का सेहरा अपना सिर बांधने का प्रयास कर रहे हैं और उन्हीं की पार्टी के राज वाले राज्य में मात्र एक घंटे की दूरी पर स्थित अधिकारी सूचना मिलने पर चार घंटे तक मृतकों और घायलों की सुध लेने और राहत को रफ्तार देने नहीं पहुंचते हैं।
अधिकांश पीडि़त साढ़े दस से ग्यारह बजे तक आबूरोड के ट्रोमा सेंटर पर पहुंच चुके थे। साढ़े नौ से दस बजे तक जिला के प्रशासनिक व पुलिस के आला अधिकारियों को सूचना दी जा चुकी थी, लेकिन रात को करीब एक बजे तक जिले का एक भी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
पुलिस के निचले अधिकारी घटनास्थल पर राहत में लगे हुए थे, लेकिन इस दौरान जिले में प्रशासन के किसी जिले मे प्रशासन और पुलिस के किसी भी अधिकारी ने ट्रोमा सेंटर पर पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लेने की जहमत नहीं उठाई।
ट्रोमा सेंटर से चंद किलोमीटर दूरी पर कार्यवाहक उपखण्ड अधिकारी महेन्द्रसिंह रहते है, प्रथम जिम्मेदारी उन्हीं की थी, लेकिन रात को दो बजे तक उनका कहीं ठिकाना नहीं था। वहीं आबूरोड की डीएसपी प्रीती कांकाणी दो बजे के करीब वहां पहुंची।
सिरोही पुलिस कंट्रोल रूम से रात ढाई बजे फोन पर जानकारी मिली कि उस समय कार्यवाहक उपखण्ड अधिकारी घटनास्थल की ओर गए हैं, जबकि इन अधिकारियों की सबसे ज्यादा जरूरत ट्रोमा सेंटर की व्यवस्थाओं को देखने में थी।
इस दौरान गंभीर रूप से घायल मरीजों को उच्च उपचार के लिये अन्यत्र रेफर करने की जरूरत पड़ी, लेकिन किसी जवाबदेह ऑफिसर के रात एक बजे तक ट्रोमा सेंटर पर नहीं होने से तीन और जनों को जान से हाथ धोना पड़ा। रात करीब पौने एक बजे के आसपास जिला कलक्टर वी. सरवन ट्रोमा सेंटर पर पहुंचे।
प्रशासनिक सूत्रों की दलील है कि इन्हें सूचना ही बारह बजे के आसपास दी गई। बाद में एएसपी निर्मला विश्नोई, डीएसपी प्रीती कांकाणी, कार्यवाहक उपखण्ड अधिकारी महेन्द्रसिंह, तहसीलदार कूपाराम लौहार, पटवारी सुखराजसिंह, महावीरसिंह, श्रणवसिंह आदि वहां पहुंचे। इस दौरान ट्रोमा सेंटर के चिकित्सक, मेडीकल स्टाफ और आबूरोड शहर के लोग ही इनकी व्यवस्थाओं के लिए जूझते रहे।