Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
राधा-कृष्ण की अलौकिक प्रेम कहानी के बीच कौन था 'वो', यहां पढें - Sabguru News
Home Latest news राधा-कृष्ण की अलौकिक प्रेम कहानी के बीच कौन था ‘वो’, यहां पढें

राधा-कृष्ण की अलौकिक प्रेम कहानी के बीच कौन था ‘वो’, यहां पढें

0
राधा-कृष्ण की अलौकिक प्रेम कहानी के बीच कौन था ‘वो’, यहां पढें
If you also want to know who has been married to Radha, click here
If you also want to know who has been married to Radha, click here
If you also want to know who has been married to Radha, click here

राधा और श्रीकृष्ण की प्रेम कहानी के बारे में यूं तो सब जानते हैं। इससे जुडी कई किंवंदतियां भी है। एक किंवदंती के अनुसार राधा का विवाह श्रीकृष्ण से या हुआ था किसी और की भी वे पत्नी थीं। वे महालक्ष्मी का साक्षात् अवतार थीं। पिता वृषभानु और माता कीर्ति की पुत्री ‘राधा’ का जन्म भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन रावल ग्राम में हुआ था।

राधा-कृष्ण की अलौकिक प्रेम कहानी हम सभी परिचित हैं। लेकिन ऐसी क्या वजह थी कि दोनों का विवाह नहीं हो पाया? इसके पीछे भी समय की नियति ही थी। इस प्रश्न का उत्तर वर्तमान में भी रहस्यमयी बना हुआ है।

एक किंवदंती के अनुसार राधा का विवाह अभिमन्यु के साथ हुआ था। इस बात के प्रमाण वर्तमान में भी मौजूद है। यह प्रमाण उप्र में स्थित नंदगांव पूर्व में करीब दो मील की दूरी पर स्थित जावट ग्राम में मिलते हैं।

मान्यता है कि यह गांव द्वापरयुग में भी मौजूद था। जहां कभी ‘जटिला’ नाम की एक गोपी रहती थी, जिसके पुत्र अभिमन्यु के साथ राधा का विवाह योगमाया के निर्देशानुसार हुआ था। राधा के पिता वृषभानु ने यह विवाह करवाया था।

कहते हैं अभिमन्यु को राधा का पति माना जाता है, लेकिन योगमाया के प्रभाव से वह राधा की परछाई तक का स्पर्श नहीं कर सकता था। प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित है कि अभिमन्यु दिन भर व्यस्त रहते थे।

राधा की सास जटिला ननद कुटिला के साथ कार्य में व्यस्त रहा करती थीं। इस बात का सटीक प्रमाण यह है कि आज भी जावट गांव में जटिला जी की हवेली है और जटिला, कुटिला और अभिमन्यु का मंदिर भी है।

हालांकि दक्षिण भारत के हिंदू धर्म ग्रंथों में राधारानी का जिक्र नहीं मिलता। राधा नाम सबसे पहले और सबसे अधिक ब्रह्मवैवर्त पुराण में ही पाया जाता है, और यह पुराण सभी पुराणों में काफी बाद में लिखा गया था।

यह भी पढ़ें-