सबगुरु न्यूज, जोधपुर/सिरोही। जोधपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक हवासिंह घुमरिया ने यह भरोसा दिया है कि जालोर, पाली एवं सिरोही जिले में क्रेडिट काॅ-आॅपरेटिव सोसायटीयो द्वारा आम जनता के द्वारा सोसायटीयो के अलग अलग योजनाओं में निवेष किये गये धन को न लौटाने के मामलो की जांच के लिये वे विषेश दल का गठन करेंगे।
पूर्व विधायक संयम लोढा ने इस संबंध में उनसे बात कर उनसे जुडे मामलो की जांच में पुलिस अनुसंधान में एकरूपता न होने की बात उनके ध्यान में लायी है।
लोढा ने उन्हे बताया कि इन क्रेडिट सोसायटियांे में आमजनता का करीब 50 करोड रूपया फंसा हुआ है जिसे वापस दिलाने के लिये प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिये। लोढा ने उन्हे बताया कि एक ही तरह के मामलो में पुलिस अनुसंधान अधिकारी कानून की अलग-अलग तरीके से व्याख्या कर रहे है। इससे न तो लोगों को राहत मिल रही है और पीडित लोग दर दर भटक रहे है।
लोढा ने उन्हे आबूरोड के एक मामले के हवाले से बताया कि पुलिस अब उन सोसायटीयो में 10-15 हजार मासिक कमाने वाले कार्मिको को भी अपराधी बताकर गिरफतार कर रही है। यह पूरी तरह गलत है इससे पूर्व हुए पचासो मामलो में कभी भी इन छोटे कर्मचारियो के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई है।
लोढा ने उन्हे बताया कि ग्राहक के द्वारा दी गई धनराशि सोसायटी में जमा करवाने के बाद और सोसायटी द्वारा बाॅण्ड जारी करने के बाद कर्मचारी का कर्तव्य पालन पूरा हो जाता है। डिपाॅजिट के परिपक्व होने पर भुगतान की जिम्मेदारी सोसायटी अध्यक्ष एवं निदेशको की है। उन्होंने कहा कि उन क्रेडिट सोसायटियो में शाखा प्रबंधक के पास ऋण स्वीकृत करने का कोई अधिकार नही होता है। ऋण स्वीकृत करने के समस्त अधिकार सोसायटी के बोर्ड के पास होते हंै। इनका परिक्षण राष्ट्रीयकृत बैको के आधार पर नही किया जाना चाहिये। राष्ट्रीय बैकों के प्रबंधक के पास ऋण देने, ऋण स्वीकृत करने एवं अन्य सम्पूर्ण अधिकार होते हैं।
लोढा ने आई.जी. को बताया कि आबूरोड पुलिस द्वारा सोसायटियांे के कर्मचारियो को इस तरह के मामले में गिरफतार करने से अलग अलग सोसायटियों के सैकडो कर्मचारियो में डर फैल गया है। इस गिरफतारी से न्याय का हनन हुआ है। आई.जी. घुमरिया ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि शाखा प्रबंधकों को सोसायटियों के इन अपराधिक मामलो में सोसायटी अध्यक्षो के खिलाफ गवाह बनाया जाएगा।
लोढा ने आई.जी. से कहा कि पुलिस के द्वारा धनराशि जमा करने की शुरूआत से ही अपराध मानना पूरी तरह गलत है। यदि ली गई धनराशि प्रबंधक के द्वारा सोसायटियो में जमा नही करवाई जाती तो उनका अपराध समझ में आता, लेकिन धनराशि सोसायटी में जमा करवाने के बाद प्रबंधक ने अपना कर्तव्य पूरा किया। यह नीतिगत रूप से सभी अपराधिक मामलो में सभी पुलिस थानो में समान रूप से पालन किया जाना चाहिये।