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IIT kanpur welcomes identical twins as students
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शक्ल एक, अक्ल एक और आईआईटी में मिली एक ही ब्रांच

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शक्ल एक, अक्ल एक और आईआईटी में मिली एक ही ब्रांच
IIT kanpur welcomes identical twins as students
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कानपुर। आईआईटी कानपुर में वैसे तो हर वर्ष हजारों छात्र प्रवेश लेते हैं लेकिन नए सत्र में प्रवेश के दौरान उस समय प्रबंधन हैरान रह गया। जब एक शक्ल, एक अक्ल और एक ही ब्रांच में एडमिशन लेने के लिए दो जुडवां भाई पहुंचे।

यही नहीं दोनों की धार्मिक ग्रंथ पढ़ने में गहरी रूचि है और दोनों आईआईटी के बाद आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।

गोरखपुर के रहने वाले अजय कुमार तिवारी जो मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी है उनके जुडवां बेटे अमन व अंकुश ने शहर के प्रतिष्ठित आईआईटी में दाखिला लेने के लिए आए। लेकिन उनका चेहरा एक सा होने पर संस्थान प्रबंधक हैरान रह गए।

दोनों के जिस्म तो अलग – अलग थे, लेकिन शक्ल और अक्ल एक थी। दोनों एक दिन, एक सन् और एक मिनट के अंदर दुनिया में आए और एक साथ स्कूल गए। दोनों की रुचि धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने में है, दोनों आईएएस बनकर देश सेवा करना चाहते हैं।

दोनों के जिस्म भले ही अलग-अलग हैं लेकिन जान एक है। जिंदगी में कुछ बड़ा करने का ख्वाब है। शुरुआती पढ़ाई से अब तक साथ- साथ हैं। आईआईटी दाखिले में दोनों ने एक ही ब्रांच इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है।

अब ये संयोग बरकरार रखने के लिए वह एक ही छात्रावास के लिए प्रबंधन को आवेदन करेंगे। दोनों के बात करने के तौर तरीके, शक्ल को देख हर शख्स हैरत में पड़ गया।

दोनों बचपन से ही पढ़ने में थे तेज अमन व अंकुश के पिता अजय कुमार तिवारी मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से लेकर अब तक दोनों की कई बातों में समानता है। रहन सहन का तरीका, खान पान व खेलकूद में रुचि एक ही है।

दोनों पढ़ने में बचपन से ही तेज हैं। पैसे बेकार की चीजों में खर्च नहीं कराते हैं बल्कि मनपसंद कापी किताब व स्टेशनरी खरीदते हैं। दोनों बेटे 12वीं की बोर्ड परीक्षा में करीब समान अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए थे। अमन ने 92.8 व अंकुश ने 92.4 फीसदी अंक प्राप्त किए।

आईएएस बनकर देश सेवा करना चाहते हैं मेधा अमन ने बताया कि वह पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेंगे और जब समय बचेगा तो सिविल सर्विस की तैयारी करेंगे। अमन ने मुताबिक हम दोनों भाइयों का एक ही सपना था कि पहले हमें आईआईटी कानपुर में दाखिला लेना है, फिर वहीं रह कर आईएएस की पढ़ाई कर कलेक्टर बनकर देश की सेवा करना है।

अंकुश ने बताया कि जब वह दसवीं का छात्र था, तब एक महिला की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया था। वह डीएम ऑफिस के बाहर खड़ी थी और कलेक्टर से मिलने की गुहार लगा रही थी। तभी डीएम अपने रुम से निकले, महिला उनके पैरों पर गिड़गिड़ा कर आपबीती बता रही थी, लेकिन डीएम ने अमानवीय व्यवहार कर उसे ऑफिस से बाहर फिंकवा दिया।

महिला ने उसी दिन बेटी के साथ सुसाइड कर ली और जब मैने खबर फोटो अखबार पर देखी तो ठान लिया की सिस्टम में जाएंगे और अगर हम दोनों भाई एक-एक पीड़ित को न्याय दे पाए तो पिता जी की मेहनत और हमारा जन्म सार्थक हो जाएगा।

गीता और रामायण के साथ कुरान पढ़ी अमन ने बताया कि हम दोनों भाईयों की रुचि बचपन से धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने की थी। पापा से हमने गीता, रामायण और कुरान ग्रन्थ मंगवाए और घर में ही पढ़ा।

अमन ने बताया तीनों ग्रन्थ आज भी पूरे उनके जुबान पर रटे हैं। अमन के मुताबिक युवक आजकल फेसबुक और सोसल मीडिया पर बेमतलब की चीजें पढ़कर समय बर्बाद करते हैं, जबकि वह अगर भारत की संस्कृति और अपने देश के महान लोगों का इतिहास पढें तो वह अगर भटक गए भी होंगे तो सही रास्ते पर आजाएंगे।

अमन ने बताया कि माता पिता के संस्कार ही बेटों की तरक्की के सबसे बड़े कारक हैं। वहीं पिता ने बताया के दोनों बेटे मेरे साथ दोस्त जैसा व्यवहार रखते हैं। हमसब अपनी बातें शेयर करते हैं।

बताया, जेईई एडवांस की प्रवेश परीक्षा में जहां अंकुश ने 510वीं तो वहीं अमन ने 523वीं रैंक हासिल की है। पढ़ाई के अलावा अंकुश को फुटबाल व अमन को क्रिकेट खेलना पसंद है। अंकुश व अमन ने मेधा के बल पर कई अवार्ड प्राप्त किए हैं।

दोनों राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा के फाइनल में चयनित होने के साथ किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना में भी परचम लहरा चुके हैं। दोनों की ख्वाहिश सिविल सर्विसेज या शोध क्षेत्र में जाने की है।