Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
IIT रूड़की ने की गोबर से एलपीजी बनाने में सफलता हासिल - Sabguru News
Home Career Education IIT रूड़की ने की गोबर से एलपीजी बनाने में सफलता हासिल

IIT रूड़की ने की गोबर से एलपीजी बनाने में सफलता हासिल

0
IIT रूड़की ने की गोबर से एलपीजी बनाने में सफलता हासिल
IIT Roorkee successfully tests LPG from Cattle Dung
IIT Roorkee successfully tests LPG from Cattle Dung
IIT Roorkee successfully tests LPG from Cattle Dung

रूड़की।  रूड़की व आस-पास के क्षेत्रों में एवं पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष तौर पर गैस की किल्लत से परेशान लोगों के लिए भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आइआइटी) रूड़की ने गोबर से एलपीजी (लिक्विफाइट पेट्रोलियम गैस) बनाने में सफलता हासिल कर ली है।

कृत्रिक रूप से तैयार की गई यह रसोई गैस किसी मायने में कम नही है। इतना ही नही कृत्रिम एलपीजी वर्तमान में तैयार की गई एलपीजी से सस्ती भी पड़ेगी। दिन प्रतिदिन प्रारम्परिक ऊर्जा के सिमट रहे स्त्रोत व बढ़ती आबादी के साथ-साथ आइआइटी रूड़़की का यह प्रयास सराहनीय है।


आइआइटी के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. सीबी मजूमदार व उनकी टीम के अनुसार एक कुंतल गोबर से सौ क्यूबिक मीटर एलपीजी गैस तैयार की जा सकती है। इससे मिलने वाली गैस की कीमत वर्तमान गैस सिलेंडर से दौ सौ रूपये कम होगी । उन्होंने बताया कि अपने प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने के लिए आवेदन कर दिया है। लगभग एक माह में पेटेंट मिल जाएगा।


डा. मजूमदार के अनुसार बायो गैस भी गोबर और पानी के मिश्रण से तैयार होती हैं मगर इसमें कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा 35 प्रतिशत तक रहती हैं जबकि मीथेन केवल 65 प्रतिशत। वहीं गोबर से कृृत्रिम एलपीजी बनाने के दौरान कार्बन डाई अक्साइड को अलग कर दिया जाता है। बायो गैस में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा होने के कारण इसकी ताप क्षमता एलपीजी के मुकाबले 4 से 5 प्रतिशत कम रहती है।


कृत्रिम एलपीजी गैस तैयार करने के बारे में उन्होंने बताया कि एक ड्रम में गोबर और पानी की समान मात्रा में मिलाया जाता है। इस मिश्रम को 15 दिनों तक 37डिग्री तापमान पर रखा जाता है। इस दौरान मिश्रम में उत्पन्न बैक्टीरिया मीथेन और कार्बन डाई आक्साइड गैस बनती है। पाइप के द्वारा दोनों गैसों को दूसरे ड्रमें में डाला जाता है। इसमें पोटेशियम हाइड्रोआक्साइड मिलाया जाता है जो कार्बन डाई आक्साइड को सोखने का काम करता है।


इसके बाद ड्रम में केलव मिथेन गैस ही रह जाता हैं। तीसरे ड्रमें में मिथेन को ऐसटिलीन गैस के साथ मिलाने पर एक और रसायन की मदद से एलपीजी गैस प्राप्त की जाती हैं। प्रारम्भ में मिथेन गैस बनाने में 90 दिन लगे, मगर इस अवधि को कम करते-करते 15 दिन पर ले आए हैं यानि 15 दिनों में मिथेन गैस तैयार हो जाती है।