लखनऊ। अयोध्या स्थित विवादित श्रीराम जन्म भूमि पर स्थित भगवान राम अब तिरपाल में नहीं रहेगें। इसकी सुरक्षा अब आईआईटी रुढ़की के होनहारों द्वारा बनाई गई ‘फायरप्रूफ शीट‘ करेगी।
इसे परवान चढ़ाने के लिए प्रशासनिक स्तर भी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। फैजाबाद के डिविजनल कमिश्नर ने फायरप्रूफ शीट निर्माण के लिए आईआईटी रुढ़की को लिखा है।
डिविजनल कमिश्नर सूर्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि 30 अगस्त को आईआईटी रुड़की की एक टीम सर्वे करने के लिए आएगी। वो फायरप्रूफ शीट बनाने में एक्सपर्ट हैं, इसलिए प्रशासन ने उन्हें यह काम दिया है।
तिरपाल बदलने की इजाजत पर हुई कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को अयोध्या में विवादित श्रीराम जन्मभूमि को छांव देने के लिए छत पर लगे तिरपाल को बदलने के लिए इजाजत दी। इस दौरान रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में पैरोकार के रूप में शामिल ऑल इंडिया सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य भी मौजूद रहेंगे। रामलला स्थल के आसपास होने वाले निर्माण कार्यों की देख-रेख डीएम की निगरानी में होगी। इसके अलावा ऑब्जर्बर के रूप में दो हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एडिशनल जज भी मौजूद रहेंगे।
जानें पूरा मामला
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर मांग की थी कि विवादित जगह पर मौजूद रामलला मंदिर में आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं जुटाई जाएं। उन्होंने अपनी दलीलों में कहा था कि मंदिर आने वाले लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिलता। वहां टॉयलेट भी नहीं हैं। केंद्र और यूपी सरकार ने दर्शन के लिए आने वाले लोगों की सुविधा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए हैं। 1992 में बाबरी डिमोलिशन के चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में एक आदेश दिया था कि विवादित जगह पर कोई कंस्ट्रक्शन नहीं हो सकता।
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी अर्जी में कहा
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी अर्जी में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सिर्फ कंस्ट्रक्शन तक ही सीमित है। वहां पूजा और दर्शन के लिए आने वाले लोगों को बाकी सुविधाएं दी जा सकती हैं। जिस पर न्यायमूर्ति एआर दवे और कुरियन जोसफ की पीठ ने कहा था कि हमें कुछ करना चाहिए। यदि संभव हो तो स्थल को स्वच्छ बनाने और यात्रियों को सुविधा देने के लिए कुछ कीजिए।