जयपुर। राजस्थान में तंबाकू नियंत्रण में अग्रणी पुलिस विभाग ने एक ओर कदम उठाते हुए राज्य की दो प्रमुख सिगरेट कम्पनियों आईटीसी एवं गोडफ्रे फिलिप्स को राज्य के समस्त जिलों से 30 जनवरी तक अपने सभी अवैध विज्ञापन हटाने के लिये कड़े निर्देश जारी किए हैं। पुलिस विभाग के पास पिछले लंबे समय से सिगरेट कंपनियों द्वारा प्रदेशभर में लगे अवैध विज्ञापनों की शिकायतें आ रही थी।
डीआईजी सीआईडी सीबी एवं स्टेट नोडल अधिकारी तंबाकू नियंत्रण पुलिस विभाग के डॉ. कर्नल बहादुर सिंह कपूर ने 13 व 15 जनवरी को दो प्रमुख कम्पनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर ये निर्देश जारी किए। बैठक में आरवीएचए के तकनीकी सलाहकार एडवोकेट सूर्यप्रताप सिंह राजावत ने सिगरेट कंपनियों के किस प्रकार से कोटपा एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है इस पर जानकारी दी। इस पर दोनो कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस तरह से लगे विज्ञापनों को अवैध भी माना।
कुछ समय पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने सिगरेट कपंनियों के अवैध विज्ञपनों को हटाने के मामले को गंभीरता से लिया। साथ ही केंद्र सरकार ने देश के सभी पुलिस महानिदेशकेां को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सिगरेट कंपनियों के लगे अवैध विज्ञापनों केा हटवाने संबधी निर्देश से अवगत कराया था। उन्होंने सिगरेट कम्पनियों द्वारा राज्य के सभी जिलों से समस्त अवैध विज्ञापनों को हटवाने के बाद अनुपालना रिपोर्ट के साथ 10 फरवरी को कार्यालय में स्वयं उपस्थित होने के निर्देष दिए गए है।
डॉ.कपूर ने बताया कि कोटपा (सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003) की धारा 5 के मुताबिक तंबाकू उत्पाद बेचने की दुकान के उपर बोर्ड लगाया जा सकता है, परन्तु यह 60 सेमी गुणा 45 सेमी से बड़ा नहीं होना चाहिए। इस बोर्ड के ऊपरी भाग में बेची जाने वाली सामग्री जैसे बीड़ी, सिगरेट, खैनी, पान मसाला आदि का नाम लिखा जा सकता है, अर्थात किसी कम्पनी या ब्राण्ड का नाम, लोगो या मिलता जुलता चित्र नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोटपा की धारा 5 के उल्लंघन पर दो साल की कैद या 2000 रुपए का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। दूसरी बार के उल्लंघन पर 5 साल की कैद या 5000 का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
बच्चे हैं आसान शिकार
राजस्थान वालण्टरी हैल्थ एसोसिएशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विक्रम सिंह राघव ने बताया कि प्रदेश में दुकानों व बिक्री स्थलों पर लगे बड़े व चमकदार विज्ञापन विशेष रुप से बच्चों व किशोरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इनसे आकर्षित होकर प्रदेशभर में करीब 533 बच्चे प्रतिदिन इसका सेवन प्रारंभ कर रहे है। इनमें शिक्षण संस्थाओं में पढऩे व काम करने वाले युवाओं की संख्या अधिक है।
राघव ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे 2010 के अनुसार देशभर में प्रतिदिन 5500 बच्चे तंबाकू के नए उपभोक्ता बनते हैं, जबकि राजस्थान में यह संख्या लगभग 250 है। आरवीएचए के अध्यक्ष विवेक अग्रवाल बताते हैं कि यदि इन विज्ञापनों को हटाया जाए तो राज्य के स्वास्थ्य सूचकांक में सुधार लाया जा सकता है क्योंकि हर साल लगभग 60 हजार मौतें तंबाकू के कारण होती हैं।