धमतरी। गंगरेल जलाशय के बीच टापू में महुआ शराब बनाए जाने के अवैध कारोबार का भंडाफोड़ हुआ है, और वन प्रबंधन समिति की टीम ने टापू से दर्जन भर ड्रम और बर्तन बरामद किया है, जिसमें शराब बनाने के लिए महुआ पाश सड़ाकर रखा गया था, इसके अलावा एक लकड़ी का नाव भी टापू के पास बरामद किया गया है।
जबकि मौके पर इससे दोगुना मात्रा में महुआ पाश और ड्रम रखा हुआ है, लेकिन आबकारी टीम अभी तक यहां पहुंच नही पाई है। गंगरेल बांध से करीब 5 किमी दूर पानी के बीचोबीच एक टापू है, चारो तरफ से पानी से घिरे इस टापू तक केवल नाव के जरिये ही पहुंचा जा सकता है, इस टापू में सर्वे के लिए पहुंची।
पर्यटन विभाग की टीम ने देखा कि यहां बड़े पैमाने पर अवैध रुप से महुआ शराब बनाया जा रहा है, शराब बनाने के लिए काफी संख्या में पेड़ों की भी कटाई की गई है, मीडिया के माध्यम से खबर मिलने के बाद प्रशासन ने कार्यवाही करने की बात कही थी, डीएफओ विवेक आचार्य ने इसे गंभीरता से लेते हुए वन अमला को तत्काल जांच कार्यवाही के निर्देश दिए।
डीएफओ के निर्देश पर वन विभाग एवं वन प्रबंधन समिति के लोग रविवार की शाम मोटर बोट में सवार होकर टापू तक पहुंचे, यहां कोई व्यक्ति तो नहीं मिला, लेकिन शराब बनाने के लिए महुआ पाश सड़ाकर रखे गए, प्लास्टिक के 12 ड्रमों को जप्त किया गया, करीब 5 नग बड़ा गंज और एक लकड़ी का नाव भी मौके से बरामद हुआ है।
इसके अलावा काफी मात्रा में लकड़ी भी मिली, जिसे जलाने के लिए काटकर रखा गया था, चूंकि रात और अंधेरा अधिक हो चुका था इसलिए वन अमले को 12 ड्रम, महुआ पाश, बर्तन और नाव को लेकर वहां से लौटना पड़ा, सोमवार को यह अमला एक बार फिर टापू में पहुंची, जहां दोगुना मात्रा में ड्रम और महुआ पाश नजर आया।
यहां एक झोपड़ी भी मिला। जिसके अंदर ड्रम, बर्तन, कपड़े और खाने पीने का सामान रखा हुआ था, दर्जनों की संख्या में चूल्हा भी यहां दिखाई दिया, लेकिन खतरे की आशंका के चलते सारा सामान टापू में ही छोडक़र वापस लौटना पड़ा।
कार्यवाही के लिए फोर्स की जरुरत
अवैध शराब के इस कारोबार को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें किसी बड़े शराब माफिया का हाथ हो सकता है, जो कि ग्रामीणों की टीम बनाकर लंबे समय से इस कारोबार को कर रहा है, सामान जप्ती और पकड़े जाने के डर से कार्यवाही के लिए जाने वाले लोगों पर हमला भी किया जा सकता है।
ऐसे में कार्यवाही के लिए आबकारी और पुलिस फोर्स का साथ होना जरुरी है, ताकि पूरे टापू में घूमकर मुआयना किया जा सके, लेकिन आबकारी विभाग अभी तक तक कोई कदम नहीं उठा पाई है, विभाग के अधिकारी का कहना है सुरक्षा कारणों के चलते टीम नहीं पहुंच पाई है।
सुरक्षा बल मिलने के बाद वहां पहुंचकर कार्यवाही करेंगे। बहरहाल विभाग के इस कछुआ चाल से कहीं ऐसा न हो कि शराब माफिया रातोरात सारा सामान टापू से पार कर दे।
शराब माफियाओं का हो सकता है हाथ
जानकारों की माने तो टापू के आसपास कुछ गांव है, जहां स्थानीय जनजातीय के लोग महुआ शराब की बिक्री करते हैं, लेकिन ये काफी कम मात्रा में शराब बनाते हैं, जितनी मात्रा में टापू में महुआ पाश और ड्रम बरामद हुआ है इतनी मात्रा में केवल माफिया ही शराब बनवाने का काम कर सकते हैं, जो टापू को सबसे सुरक्षित मानकर शराब बनाने का कारोबार कर रहे हैं, शराब बनने के बाद संभवत नाव के जरिये इसकी तस्करी दूर दूर तक की जाती होगी, फिलहाल अभी तक किसी भी शराब माफिया का नाम सामने नहीं आ पाया है।