नई दिल्ली। बचपन से दिल की बीमारी से पीडित जिन बच्चियों के परिवार वाले उनकी सर्जरी का खर्चा नहीं उठा पा रहे हैं, ऐसी 32 बच्चियों के दिल का आॅपरेशन करवाने की जिम्मेदारी इंडियन मेडीकल एसोसिएशन ने उठाई है। समीर मलिक हार्ट केयर फाउंडेशन फंड के एक साल पूरा होने के मौके पर कन्याओं की रक्षा करने के उददेश्य से यह किया जाएगा।
आईएमए की ओर से समीर मलिक हार्ट केयर फाउंडेशन फंड की शुरूआत पिछले साल की गई थी, इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर दिल के मरीजों की जान बचाना है। आईएमए के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि जन्म लेने वाले प्रत्येक 1000 बच्चों में से एक को जन्मजात दिल की बीमारी होती है। चिकित्सा विज्ञान इतनी तरक्की कर गया है कि अब बच्चों में जन्मजात दिल की बीमारियों का इलाज पूरी तरह से सुरक्षित हो चुका है। इसके बावजूद हर साल भारत में जन्मजात दिल की बीमारी वाले 78 हजार बच्चों की मौत हो जाती है।
हार्ट केयर फाउंउेशन ऑफ इंडिया का मानना है कि इलाज का खर्च वहन नहीं कर पाने के कारण किसी भी व्यक्ति को सिर्फ को मौत का शिकार नहीं होने देना चाहिए। इस फाउंडेशन के जरिये पिछले दिल की बीमारी से पीडित 279 मरीजों को आर्थिक सहायता मुहैया करायी गई थी। 103 मरीजों की सर्जरी की गई और 176 लोगों की सर्जरी टाली गई । जो सर्जरी की गईं उनमें 43 जन्मजात दिल की बीमारी के थे, 18 वॉल्व रिप्लेसमेंट किये, 11 स्टेंट, 14 बाईपास सर्जरी, 4 पेसमेकर और 10 एंजियोग्राफी थी। इनमें से 38 सर्जरी मेदांता-द मेडिसिटी में , 42 नैशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में , 7 सर्जरी जीबी पंत अस्पताल में, 4 सर्जरी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में, 3 फोर्टिस में और 9 ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में करवाई गई ।