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जनसंख्या का चरित्र बदलने से देशों की सीमाएं बदल जाती है - Sabguru News
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जनसंख्या का चरित्र बदलने से देशों की सीमाएं बदल जाती है

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जनसंख्या का चरित्र बदलने से देशों की सीमाएं बदल जाती है

imbalances in Population growth rate : conference by pragya pravah

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख अरूण कुमार ने कहा कि जनसंख्या का चरित्र बदलने से राजनीतिक परिदृश्य और देशों की सीमाएं बदल जाती है। भारत ने 1952 में जनसंख्या नीति घोषित की लेकिन नीति बनाते समय समग्र विचार नहीं हुआ। इसलिए जनसंख्या में वृद्धि असंतुलन बढ़ता गया।

अरूण कुमार सोमवार को प्रज्ञा प्रवाह की ओर से जनसंख्या वृद्धि में असंतुलन विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण पिछले 15 सालों में विश्व में तीन नए देश बने हैं। आज विश्व के कई देशों में संघर्ष चल रहा है।

उन्होंने भारतीय पंथो को मानने वालों की जनसंख्या की कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश के जिस भाग में भारतीय पंथों को मानने वालों की संख्या कम हुई है, वहां संघर्ष हो रहे हैं। जहां भी पांथिक जनसंख्या में परिवर्तन आया है, वहां आतंकवाद और नक्सलवाद बढ़ा है। जिन क्षेत्रों में चर्च का प्रभाव बढ़ा वहां माओवादियों की संख्या अधिक हो गई।

अरूण कुमार ने कहा कि देश में जनसंख्या में असंतुलन का मुख्य कारण कारण हिन्दू—मुस्लिमों की प्रजजन दर में भारी असमानत, विदेशी घुसपैठ और मतांतरण है। इसके चलते देश की सुरक्षा, एकता व अखण्डता और सांस्कृतिक पहचान खतरे में है। उन्होंने कहा कि मतांतरण के कारण को समझने की जरूरत है। समाज की कमजोर कड़ी में काम करने की आवश्यकता है। लालच और धोखे से हो रहे मतांतरण और घुसपैठ को रोकना होगा। इस संकट के निवारण  के लिए देश में  परिवार कल्याण कार्यक्रम सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू किया जाये।

देश की जनसंख्या नीति बनें, अवैध घुसपैठ पर कठोरता से नियंत्रण और  मतांतरण पर प्रभावी रोक की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार मुस्लिम समुदाय की आबादी 2001 से 2011 के बीच 10 साल में 0.8 फीसदी की वृद्धि के साथ 17.22 करोड़ पहुंच गई, वहीं हिंदुओं की जनसंख्या इस अवधि में 0.7 फीसदी कमी के साथ 96.63 करोड़ रह गई।

देश में हिन्दुओं जनसंख्या का अनुपात पहली बार 80 प्रतिशत से कम हुआ। जबकि मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात पिछले दशक की तुलना में 9.8 प्रतिशत से बढकर 14.23 प्रतिशत हुआ।  असम में एक तिहाई जिलों में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत तक पहुंच गई।

मणिपुर में भारतीय उपासना पद्धतियों को माननेवालों का अनुपात 50 प्रतिशत रह गया जो कि 1951 में 80 प्रतिशत था।

कार्यक्रम को भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी आर.एन. अरविंद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने भी संबोधित किया।