नई दिल्ली। अमरीकी समाचार पत्र “द न्यूयॉर्क टाइम्स” ने मुंबई हमलों से संबंधित एक सनसनीखेज खुलासा सोमवार को किया। अखबार के मुताबिक, 9/11 मुंबई हमला खुफिया चूकों का नतीजा था।
भारत, अमरीका तथा ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां उच्च तकनीक वाली निगरानी तंत्र तथा अन्य उपकरणों से मिली सूचनाओं के बावजूद वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमलों को रोकने में नाकाम रही।
अखबार ने यह बात विभिन्न दस्तावेजों, अदालती फाइल्स, दर्जनों साक्षात्कार तथा भारत, ब्रिटेन एवं अमरीका के वर्तमान तथा पूर्व अधिकारियों के दर्जनों साक्षात्कार के आधार पर कही।
समाचार पत्र के मुताबिक, कम्प्यूटर विशेषज्ञ 30 वर्षीय जरार शाह पाकिस्तान के उत्तर में स्थित पहाड़ों से अरब सागर स्थित सुरक्षित ठिकाने तक वर्ष 2008 में पहुंचा और मु ंबई को थर्राने की योजना बनाई।
पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का प्रौद्योगिकी प्रमुख तथा मास्टरमाइंड शाह ने गूगल अर्थ की मदद से आतंकवादियों को मंबई में हमले के ठिकानों का मार्ग दिखाया। इस हमले में छह अमेरीकियों सहित 166 लोग मारे गए थे।
अपनी स्थिति के बारे में भ्रम पैदा करने के लिए उसने एक इंटरनेट फोन सिस्टम लगाया और अपना लोकेशन न्यूजर्सी दिखाया। एक यहूदी छात्रावास तथा दो लक्जरी होटलों सहित हमले के लिए सभी जगहों को उसने ऑनलाइन ही ढूंढा था।
पूर्व अमेरिकी तथा भारतीय अधिकारियों तथा पूर्व अमरीकी सुरक्षा कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन द्वारा जारी दस्तावेजों से यह जानकारी सामने आई है कि शाह को यह पता नहीं था कि ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी उसकी ऑनलाइन गतिविधियों पर सितंबर से ही नजर रखे हुए थी।
टाइम्स ने कहा कि एक पूर्व भारतीय अधिकारी के मुताबिक, भारतीय खुफिया एजेंसी भी उसकी कुछ इसी तरह की निगरानी कर रही थी। एक अमरीकी अधिकारी ने कहा कि अमरीका दोनों एजेंसियों के प्रयास से अनभिज्ञ था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक तथा मानवीय सूत्रों से उसे इस षड्यंत्र के संकेत मिले थे, जिसके बारे में उसने हमले से पहले भारत को कई बार आगाह किया था।
टाइम्स ने कहा कि तीनों देशों की खुफिया एजेंसियां हाईटेक निगरानी उपकरणों तथा अन्य उपकरणों द्वारा जुटाए गए तमाम कडियों को जोड़ नहीं पाई, जिसके परिणाम स्वरूप भारत में 9/11 जैसा भयानक आतंकवादी हमला सामने आया।
समाचार पत्र ने पूर्व भारतीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के हवाले से कहा कि पूरी तस्वीर को कोई सामने नहीं रख पाया। न भारत, न ब्रिटेन और न ही अमरीका। अखबार के मुताबिक अमरीकी चेतावनी के बावजूद भारतीय एजेंसी हरकत में नहीं आई।
समाचार पत्र के मुताबिक, एक पाकिस्तानी-अमरीकी डेविड कोलमैन हेडली ने षड्यंत्रकारियों को कई ई-मेल किए थे, जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया और इसकी जानकारी वर्ष 2009 के अंत में उसकी गिरफ्तारी के बाद ही मिल पाई।