कोच्चि। केरल के एक सत्र न्यायालय ने गुरुवार को असम से ताल्लुक रखने वाले एक प्रवासी मजदूर अमीरुल इस्लाम को मौत की सजा सुनाई। इस्लाम को मंगलवार को अदालत ने वर्ष 2016 में एर्नाकुलम में कानून की पढ़ाई कर रही छात्रा के साथ रेप और हत्या के मामले में दोषी पाया था।
एर्नाकुलम के विशेष प्रधान सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एन. अनिल कुमार ने अभियोजन पक्ष के इस तर्क को स्वीकार किया कि अमीरुल इस्लाम को समाज में वापस जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वह गंभीर खतरा पैदा करेगा।
जांच का नेतृत्व करने वाली अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बी. संध्या अदालत के इस फैसले से खुश हैं। पीड़िता की मां ने भी उन सभी लोगों को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस मामले में काम किया। उन्होंने कहा कि मैं इस दिन का ही इंतजार कर रही थी। मैंने वही सुना, जो सुनना चाहती थी और मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने इसे संभव बनाया।
कानून की पढ़ाई कर रही 27 वर्षीय छात्रा 28 अप्रेल 2016 को अपने घर के पास मृत पाई गई थी। उसकी मां दिहाड़ी मजदूर राजेश्वरी ने बेटी के शव की पहचान की।
विधानसभा चुनाव से एक महीना पहले यह हत्या हुई थी और विपक्ष ने ओमन चांडी सरकार पर केरल में महिला सुरक्षा की स्थिति को लेकर भी हमला किया था।
पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए किए गए सफल डीएनए टेस्ट के बाद इस मामले की जांच पूरी की। इस मामले के सुनवाई बंद कमरे में हुई।
मई 2016 में कम्युनिस्ट नेता पिनारायी विजयन ने मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद पहले ही दिन तत्कालीन राज्य पुलिस प्रमुख को पद से हटा दिया था और नए पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा को जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
जांच के अंत में यह पता चला की चांडी सरकार द्वारा जांच के लिए नियुक्त टीम ने अच्छा काम किया था, जिससे असम के व्यक्ति को पकड़ने में जांच के लिए नियुक्त नई टीम को बहुत आसानी हुई।
अभियुक्त के वकील अलूर ने मीडिया को बताया कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें न्यायपालिका विफल होती लग रही है। अलूर ने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ निश्चित रूप से केरल उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। अभियुक्त के लिए इस मामले की कमजोर कड़ी यह है कि पुलिस के पास अपराध का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है।