अक्सर पढ़ाई और जॉब के सिलसिले में घर और शहर छोड़ नई राह पकड़नी पड़ती है। पढ़ाई में टॉप करना, जॉब में अपना बेस्ट देना है, जैसे तमाम ख्याल हमे नया उत्साह देते है। लेकिन नए शहर, नए घर और नए लोगों के बीच यह उत्साह कुछ कम होने के चांस ज्यादा होते है।
क्योंकि नए शहर में पहली प्रॉयरिटी एक रूम होती है, जहां रहकर वे एजुकेशन कंप्लीट कर सकें। फिर बात आती है खाने कि और सेफ्टी की, असल में ऐसे तमाम क्वैश्चसं का दिमाग में आना भी वाजिब है, क्योंकि यह सब कॉमन प्रॉब्लम है, जिसके कई सॉल्यूशन हैं। जैसे कि हॉस्टल, पेइंग गेस्ट, रुम शेयरिंग जिनकी मदद से आप अपने हर सपने को पूरा कर सकते है।
बेस्ट आॅप्शन है हॉस्टल
हॉस्टल में रहने का एक अलग ही एक्सपीरियंस होता है। हमारा करियर बनेगा या फिर बिगडेगा, काफी कुछ यहीं से डिसाइड हो जाता है। हॉस्टल्स के कई पॉजिटिव तो कुछ निगेटिव प्वाइंट्स होते हैं। यहां रूम में कलीग्स के साथ स्टडी का चांस मिलता है, जो घर में पॉसिबल नहीं है। रहने और सिक्योरिटी दोनों ही लिहाज से हॉस्टल परफेक्ट माना जाता है। अगर आप हॉस्टल के पॉजिटिव एनवॉयरनमेंट को एक्सेप्ट करते हैं और निगेटिव थॉट नेग्लेक्ट करते हैं, तो सक्सेस की शुरुआत हॉस्टल से हो सकती है।
काम आती है रिशतेदारी
जब स्टूडेंट दूसरी सिटी में एजुकेशन के लिए जाता है, तो वह सबसे पहले वहां रह रहे अपने रिलेटिव्स से कॉन्टैक्ट करता है। किसी भी प्रॉब्लम के दौरान सबसे पहले हेल्प यहीं से मिलती है। पॉसिबल हो तो इनके यहां भी रुका जा सकता है। रेंट पर रुकने का ऑप्शन हो, तो इसे प्रिफरेंस दें। रिलेटिव्स के यहां रुकने पर उनसे मुसीबत के समय फाइनेंशियल सपोर्ट भी ले सकते हैं। बस ऐसी जगह रुकने का एक लॉस यह है कि उनके ऊपर एक्स्ट्रा बर्डन पडता है। हालांकि वे हमारे लोकल गार्जियन की भूमिका निभा सकते हैं। किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन में वे पेरेंट्स को कॉन्टैक्ट करके उन तक बात पहुंचा सकते हैं।
कैपेसिटी के हिसाब से अपार्टमेंट
हायर स्टडी के लिए दूसरी सिटी जाने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स रेंट अपार्टमेंट्स में रहना पसंद करते हैं। जिन स्टूडेंट्स को हॉस्टल में स्पेस नहीं मिल पाता है, वे भी लास्ट में इन्हीं को अपना रेजिडेंस बनाते हैं। इस तरह के रेजिडेंस को एक या दो फ्रेंड्स के साथ शेयर भी कर सकते हैं। इन अपार्टमेंट्स का रेंट लोकेशन और सोसायटी स्टेटस पर बेस्ड होता है। अपनी कैपेसिटी के हिसाब से इन्हें तलाशें। सिक्योरिटी को लेकर कुछ प्रॉब्लम हो सकती है। कई चीजें लैंडलॉर्ड के साथ शेयर भी करनी पडेंगी। उसकी कंडीशंस को भी आपको मानना पडेगा।
बन सकते है पेइंग गेस्ट
पेइंग गेस्ट का कल्चर अभी बडे शहरों में ही चलन में है। हालांकि अब यह छोटे शहरों की ओर भी रुख करने लगा है, लेकिन वहां अभी यह कॉमन नहीं है। बडी सिटी में जा रहे हैं, तो इस ऑप्शन को भी कंसीडर कर सकते हैं। यह कुछ खर्चीला है। पेइंग गेस्ट का चार्ज मिल रही फै सिलिटीज पर डिपेंड करता है। अफोर्ड कर सकते हैं, तो एसी रूम, फिल्टर वाटर, टीवी और केबल की फैसिलिटी भी मिल जाएगी। पेइंग गेस्ट के रूप में रुकने के लिए कंडीशंस के साथ कुछ मंथ का एडवांस रेंट देना पडता है। इसके अलावा कई जगहों पर सिक्योरिटी मनी ली जाती है। हालांकि यहां फैसिलिटीज तो होती हैं, लेकिन आजादी नहीं। रूल्स काफी सख्त होते हैं और अगर उनकी लगातार अनदेखी करेंगे, तो हो सकता है बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए। पेइंग गेस्ट के लिए अधिकतर लैंडलॉर्ड्स गर्ल्स को ही प्रॉयरिटी देते हैं।
खर्चो करें मैनेज
छोटी सिटी से बडी सिटीज में जाकर रहने वालों के सामने फाइनेंशियल प्रॉब्लम सबसे बडा बैरियर है। शुरू के कुछ मंथ तो खर्चो को मैनेज करने में ही तो बीत जाते हैं। कई बार जरूरी खर्चो के लिए घर से भी पैसा मंगाना पड सकता है। फाइनेंशियल प्रॉब्लम से कई दूसरी प्रॉब्लम्स भी क्रिएट हो सकती हैं। इसलिए इस पर कंट्रोल करें। जहां तक हो सके अपने स्टेटस से छोटा रूम लें, जहां तक हो कंप्रोमाइज करें। शुरुआत में छोटी-छोटी सेविंग करने की कोशिश करें। धीरे-धीरे जब इस तरह रहने की हैबिट बन जाएगी तो यही फाइनेंशियल प्रॉब्लम पेन की जगह रिलीफ देने का काम करने लगेगी। आप इसी में खुशी तलाशेंगे।
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