मुंबई। नोटबंदी की वजह से गरीब और सीमांत किसानों की नकदी की समस्या को देखते हुये भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वह कम से कम 40 प्रतिशत नकदी ग्रामीण इलाकों में पहुंचायें।
नोटबंदी के बाद नकदी उपलब्धता की 50 दिन की समयसीमा 30 दिसंबर को समाप्त हो गई लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्र हैं जहां स्थिति कठिन बनी हुई है। यही वजह है कि सरकार ने बैंकों की साप्ताहिक 24,000 रपये की नकदी निकासी सीमा को नहीं उठाया है।
रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों द्वारा की जा रही नोट आपूर्ति स्थानीय जरूरतों के अनुरूप नहीं होने को देखते हुये जरूरी कदम पहले ही उठाये जा चुके हैं।
केन्द्रीय बैंक ने कहा है, बैंक अपनी करेंसी चेस्ट को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों, वाणिज्य बैंकों की ग्रामीण शाखाओं, व्हाइट लेबल एटीएम और डाकघरों में प्राथमिकता के साथ नये नोट जारी करें। यह काम प्राथमिकता के साथ होना चाहिये क्योंकि ये ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी वितरण के मुख्य चैनल हैं।
रिजर्व बैंक की तरफ से यह निर्देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गत 31 दिसंबर की शाम राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद जारी किया गया है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बैंकों से ग्रामीण इलाकों में नकदी वितरण के मामले में स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य करने को कहा।
रिजर्व बैंक ने सभी राज्यों के प्रत्येक जिले पर गौर किया है और उनकी जरूरतों का आकलन भी कर लिया है। इसके मुताबिक सभी जिलों में काम करने वाली करेंसी चेस्ट दिये गये अनुपात में बैंक नोट जारी करेंगे।