सबगुरु न्यूज-अम्बाजी। गुजरात के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल अम्बाजी के मंदिर में विश्व रिकाॅर्ड के लिए बनाई गई 61 फीट लम्बी और तीन फीट व्यास की अगरबत्ती रविवार मध्य रात को एकाएक भभक गई और इसमें आग लग गई।
इससे वहां मौजूद लोगों के होश फाख्ता हो गए। गनीमत रही की यह घटना रात को हुई, यदि दिन में होती तो यहां पर नवरात्रि के चलते उमड रही भारी भीड के कारण गंभीर हादसा भी हो सकता था। इस अगरबत्ती को रविवार दोपहर को गुजरात के गृहराज्यमंत्री ने अपने कर कमलो से जलाकर उद्घाटन किया था।
इस घटना से किसी की जान को तो नुकसान नहीं हुआ, लेकिन मंदिर की बेरीकेडिंग और स्ट्रांग रूम काले हो गए। वहीं फर्श का मार्बल उखड गया। सोमवार सवेरे अगरबत्ती के अवशेष बचे थे, इसे देखने के लिए लोग आ रहे थे। वैसे सोमवार को यहां पर बाकायदा पूजा-अर्चना हुई। अगरबत्ती की आग को तीन से चार घंटे में काबू पा लिया गया।
इस आग को काबू पाने के लिए मंदिर के जलस्रोतों से पानी लिया गया, इस तरह की आग को बुझाने के लिए अम्बाजी में एक अदद अग्निशमन वाहन की भी व्यवस्था नहीं थी। बाल्टी और पाइपों के माध्यम से पानी डालकर इस विशाल अगरबत्ती में लगी आग को बुझाया गया। इस कारण इस आग पर काबू पाने के लिए मंदिर प्रशासन को चार घंटे तक मशक्कत करनी पडी।
इस अगरबत्ती को 12 दिनों तक जलकर अपनी सुगंध से मंदिर परिसर को महकाना था, लेकिन अगरबत्ती को जलाने के चैबीस घंटे के भीतर ही यह सुलगने की बजाय आग से भभक उठी और सोमवार को श्रद्धालुओं को इस विशाल अगरबत्ती की खुशबु की बजाय इसके अवशेष देखने को मिले।।
worshiper performing arti and Incense Stick in the ambaji temple premises
दस दिन में बनाई थी
गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए गुजरात के जामनगर की रघुवीरा धूप कार्बन प्राइवेट लिमिटेड ने यह अगरबत्ती के निर्माण का बीड़ा उठाया था। इसके बनाने में तीस श्रमिकों ने दस दिन तक लगातार अथक प्रयास किया। इसे बनाने के लिए साढ़े पांच सौ किलोग्राम चरकोल उपलब्ध करवाया गया है।
इसमें 165 किलोग्राम जिगेता पाउडर, पांच प्रकार के बांसों से अगरबत्ती का निर्माण किया गया था। अहमदाबाद की मां अम्बे सेवा समिति ने इसके लिए धूप उपलब्ध करवाई थी। इस अगरबत्ती को 12 दिन तक जलना था, लेकिन यह 24 घंटे भी नहीं जल पाई।
खुली सुरक्षा व्यवस्था की पोल
अम्बाजी मंदिर देश के उन प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जहां भरपूर चढ़ावा आता है। इसके प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने तहसीलदार स्तर के अधिकारी को बाकायदा तैनात किया हुआ है। इसके बावजूद इस मंदिर के पास आग पर काबू पाने के लिए अपना कोई साधन नहीं है।
बहुमंजिला रहवासी भवनों के लिए अग्निशमन की आवश्यकता की पाबंदी लगाने वाली गुजरात सरकार ने इस मंदिर में आने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा के लिए कोई अग्निशमन की व्यवस्था नहीं की हुई है। ऐसे में यहां की सुरक्षा व्यवस्था भी संदेह के घेरे में है।